पुरुषार्थ – 5
आइये जानें कि हमारे सनातन शास्त्र इस जड़ शरीर को सक्रिय करने के बारे में क्या कहते है ? हमारे इस भौतिक जड़ शरीर (Gross body) को सक्रियता प्रदान करता है, हमारा ही सूक्ष्म शरीर (Subtle body) | सूक्ष्म शरीर के अंतर्गत आते हैं- ज्ञानेन्द्रियों के पांच विषय – शब्द (Sounds), स्पर्श (Sensations like touch,temperature etc.), रूप (Vision), रस (Taste) और गंध (Smell)| इनके साथ मन (Mind), बुद्धि (Intelligence) और अहंकार (Ego) ये तीन तत्व और सम्मिलित हैं, इस सूक्ष्म शरीर में | इस प्रकार कुल आठ तत्वों से इस सूक्ष्म शरीर का निर्माण होता है | इन आठ तत्वों के समूह को “पुर्यष्टक” कहा जाता है और इस शरीर को “आतिवाहिक शरीर“ (Subtle body)| यही शरीर (8 तत्वों से युक्त) जब भौतिक शरीर को त्याग कर बाहर निकल जाता हैं तब हम उस भौतिक शरीर को ‘मृत’ (Dead) कह देते हैं | यह “आतिवाहिक” शरीर ही पुनर्जन्म (Rebirth) और आवागमन का कारण है, अन्य कोई कारण नहीं है | यह सूक्ष्म शरीर स्थूल प्रकृति का नहीं है क्योंकि इसका कोई भी तत्व हमें अपनी आँखों से दिखाई नहीं देता है परन्तु सूक्ष्म होते हुए भी इसको भी स्थूल शरीर की भांति असत ही माना गया है, क्योंकि ये सभी तत्व भी परिवर्तनशील (Changeable) अर्थात अस्थाई (Unstable) हैं | इस प्रकार 15 तत्व स्थूल शरीर के और 8 तत्व सूक्ष्म शरीर के, कुल मिलाकर 23 तत्व इस असत शरीर का निर्माण करते हैं | स्थूल और सूक्ष्म शरीर के मिलने के उपरांत भी यह शरीर असत ही है क्योंकि इसके निर्माण में प्रयुक्त सभी तत्व परिवर्तनशील है | इनमे स्थायित्व का अभाव है अतः ये नित्य नहीं है | नित्य नहीं है, इसलिए सत भी नहीं है | जब इन 23 तत्वों के साथ चेतन के रूप में आकर 24वां तत्व सम्मिलित होता है, तभी यह भौतिक शरीर कर्म करने हेतु तैयार हो सकता है, उससे पहले नहीं | 15 तत्वों के स्थूल शरीर और 8 तत्वों के सूक्ष्म शरीर (आतिवाहिक) के मिलने से बना यह शरीर हिलडुल सकता है, उसमें प्राणों का प्रादुर्भाव अवश्य हो जाता है अर्थात इस शरीर में जीवन है, ऐसा कहा जा सकता है, परन्तु चेतनता (Consciousness) का अभी भी सर्वथा अभाव होता है | इससे यह सिद्ध होता है कि स्थूल शरीर जड़ ही है और सूक्ष्म शरीर जीव है | अकेले सूक्ष्म शरीर से भी इस जड़ शरीर में जीवन तो आ सकता है परन्तु सक्रियता नहीं आ सकती | उपरोक्त 23 तत्वों को मिलाने के उपरांत भी यह भौतिक शरीर जड़ का जड़ ही बना रहता है, हालाँकि इन 23 तत्वों से बने इस शरीर को ‘जीवित’ होना कहा जा सकता है |
क्रमशः
प्रस्तुति – डॉ.प्रकाश काछवाल
||हरिः शरणम् ||
आइये जानें कि हमारे सनातन शास्त्र इस जड़ शरीर को सक्रिय करने के बारे में क्या कहते है ? हमारे इस भौतिक जड़ शरीर (Gross body) को सक्रियता प्रदान करता है, हमारा ही सूक्ष्म शरीर (Subtle body) | सूक्ष्म शरीर के अंतर्गत आते हैं- ज्ञानेन्द्रियों के पांच विषय – शब्द (Sounds), स्पर्श (Sensations like touch,temperature etc.), रूप (Vision), रस (Taste) और गंध (Smell)| इनके साथ मन (Mind), बुद्धि (Intelligence) और अहंकार (Ego) ये तीन तत्व और सम्मिलित हैं, इस सूक्ष्म शरीर में | इस प्रकार कुल आठ तत्वों से इस सूक्ष्म शरीर का निर्माण होता है | इन आठ तत्वों के समूह को “पुर्यष्टक” कहा जाता है और इस शरीर को “आतिवाहिक शरीर“ (Subtle body)| यही शरीर (8 तत्वों से युक्त) जब भौतिक शरीर को त्याग कर बाहर निकल जाता हैं तब हम उस भौतिक शरीर को ‘मृत’ (Dead) कह देते हैं | यह “आतिवाहिक” शरीर ही पुनर्जन्म (Rebirth) और आवागमन का कारण है, अन्य कोई कारण नहीं है | यह सूक्ष्म शरीर स्थूल प्रकृति का नहीं है क्योंकि इसका कोई भी तत्व हमें अपनी आँखों से दिखाई नहीं देता है परन्तु सूक्ष्म होते हुए भी इसको भी स्थूल शरीर की भांति असत ही माना गया है, क्योंकि ये सभी तत्व भी परिवर्तनशील (Changeable) अर्थात अस्थाई (Unstable) हैं | इस प्रकार 15 तत्व स्थूल शरीर के और 8 तत्व सूक्ष्म शरीर के, कुल मिलाकर 23 तत्व इस असत शरीर का निर्माण करते हैं | स्थूल और सूक्ष्म शरीर के मिलने के उपरांत भी यह शरीर असत ही है क्योंकि इसके निर्माण में प्रयुक्त सभी तत्व परिवर्तनशील है | इनमे स्थायित्व का अभाव है अतः ये नित्य नहीं है | नित्य नहीं है, इसलिए सत भी नहीं है | जब इन 23 तत्वों के साथ चेतन के रूप में आकर 24वां तत्व सम्मिलित होता है, तभी यह भौतिक शरीर कर्म करने हेतु तैयार हो सकता है, उससे पहले नहीं | 15 तत्वों के स्थूल शरीर और 8 तत्वों के सूक्ष्म शरीर (आतिवाहिक) के मिलने से बना यह शरीर हिलडुल सकता है, उसमें प्राणों का प्रादुर्भाव अवश्य हो जाता है अर्थात इस शरीर में जीवन है, ऐसा कहा जा सकता है, परन्तु चेतनता (Consciousness) का अभी भी सर्वथा अभाव होता है | इससे यह सिद्ध होता है कि स्थूल शरीर जड़ ही है और सूक्ष्म शरीर जीव है | अकेले सूक्ष्म शरीर से भी इस जड़ शरीर में जीवन तो आ सकता है परन्तु सक्रियता नहीं आ सकती | उपरोक्त 23 तत्वों को मिलाने के उपरांत भी यह भौतिक शरीर जड़ का जड़ ही बना रहता है, हालाँकि इन 23 तत्वों से बने इस शरीर को ‘जीवित’ होना कहा जा सकता है |
क्रमशः
प्रस्तुति – डॉ.प्रकाश काछवाल
||हरिः शरणम् ||
No comments:
Post a Comment