Wednesday, January 16, 2019

पुनर्जन्म क्यों और कैसे ?

पुनर्जन्म क्यों और कैसे?
       गत दो दिनों से वेदना और उस वेदना को दूर करने के लिए प्रकट की जाने वाली संवेदना पर हमने चर्चा की।इन दो दिनों में पाठकों से कई प्रतिक्रियाएं मिली है। वे जानना चाहते हैं कि हिंदी के शब्दों की व्याख्या करने का साहित्यिक आधार क्या है ? मैं बड़ी विनम्रता से बताना चाहता हूँ कि अध्ययन की अवधि में साहित्य मेरा विषय रहा ही नहीं । दिन में जब किसी विषय पर चिंतन प्रारम्भ हो जाता है, तब स्वयं के भीतर से शब्दों की व्याख्या स्वतः ही प्रकट होती रहती है।मैं नहीं जानता कि यह व्याख्या साहित्यिक रूप से सही है, अथवा नहीं।दो दिन बाद जब आचार्यजी के पास आश्रम में रहूँगा तब उनसे पूछूंगा, वे हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं।
       दो भाइयों ने वेदना और पुनर्जन्म के आपस में संबंध के बारे में पूछा है।पुनर्जन्म विषय पर मेरा चिंतन सदैव चलता रहता है क्योंकि यह मेरा प्रिय विषय भी है और आध्यत्मिक जीवन में लाने का श्रेय भी इस विषय को है। वेदना का पुनर्जन्म से गहरा नाता है।हालांकि वेदना पर मकर सक्रांति के अवसर पर लिखने का मेरा  उद्देश्य भिन्न था।उस दिन मैंने वेदना पर लिखते समय नहीं सोचा था कि वह विषय एक नई श्रृंखला को प्रारम्भ करने का आधार बन जायेगा। वेदना का पुनर्जन्म के साथ सम्बन्ध को केवल थोड़े से शब्दों के माध्यम से बताना मुश्किल है।अतः कल से एक छोटी सी श्रृंखला प्रारम्भ कर रहा हूँ, मैं समझता हूँ कि इससे आपको वेदना और पुनर्जन्म का संबंध स्पष्ट हो जाएगा।
    देखा जाए तो सब उस परमेश्वर की माया का खेल है, जिसने हमें वेदना,संवेदना और पुनर्जन्म में उलझा रखा है। किसी विषय पर लिखने और पढ़ने का एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि इन सभी उलझनों से मुक्त कैसे हुआ जाय?मुक्त होने के लिए ज्ञान होना आवश्यक है क्योंकि आज के आधुनिक विज्ञान के युग में  ज्ञान ही परमात्मा की भक्ति का आधार बन सकता है अन्यथा लोग भक्ति के नाम पर विभिन्न आडंबरों में ही उलझते जा रहे हैं।इन उलझनों से निकलने के लिए शायद यह श्रृंखला कुछ सहयोग करेगी। इसी आशा के साथ, कल से "पुनर्जन्म क्यों और कैसे?" विषय पर चर्चा करेंगे ।
प्रस्तुति - डॉ. प्रकाश काछवाल
।। हरि:शरणम्।।

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