Tuesday, January 22, 2019

पुनर्जन्म-6

पुनर्जन्म-6
      ज्ञानेंद्रियों से जो संवेद का संदेश मस्तिष्क तक पहुंचता है उसका विश्लेषण करने का कार्य इसी स्थान पर होता है। हमारे पूरे शरीर में क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है और प्रतिक्रिया में क्या करना है यह सब मस्तिष्क का कार्य है।संवेद का संदेश जब संवेदी तंत्रिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है तब मस्तिष्क को उस संवेद का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है।उस प्रत्यक्ष ज्ञान को अवगम(perception)भी कहा जाता है।
अवगम अथवा प्रत्यक्ष ज्ञान (Perception)-
      ज्ञानेंद्रियों से मिले संवेद-संदेश के विश्लेषण करने का कार्य और उसमें संकेत रूप से अंकित ज्ञान को प्रत्यक्ष करने का कार्य मस्तिष्क में नियत किये गए विभिन्न भागों में होता है। जैसे सुनने के संवेद का संदेश  Broca's area से होते हुए auditory area में पहुंचता है, जहां से सुने गए शब्दों का प्रत्यक्ष ज्ञान होता है। इसी प्रकार दृश्य के संवेद का अवगम optical chaisma से होते हुए मस्तिष्क के पिछले भाग occipetal lobe में जाकर होता है।उस विश्लेषण से संवेद विशेष का सही सही ज्ञान हो जाता है। मस्तिष्क को अगर तत्काल उस संवेद की कोई प्रतिक्रिया देनी होती है तो वह कर्मेन्द्रियों को उसी अनुसार कार्य करने का सीधे आदेश दे सकता है।यह आदेश प्रेरक तंत्रिकाओं (motor nerves) के माध्यम से तत्काल ही कार्य स्थल पर पहुँच कर कार्य सम्पन्न कराते हैं।उदाहरणार्थ जैसे कोई कड़वे स्वाद की वस्तु के संदेश मस्तिष्क को प्राप्त होते हैं तो मस्तिष्क तुरंत उसको थूक डालने के संकेत जीभ तक पहुंचाता है जिससे उस कड़वे स्वाद वाले व्यंजन को तत्काल ही थूक दिया जाता है।इसी प्रकार जब कोई कील पैर में चुभती है तो उस संवेद के संदेश त्वचा मस्तिष्क को पहुंचाती है। मस्तिष्क उसका विश्लेषण कर कील को निकालने का संदेश हाथ तक पहुंचाता है और हाथ उस चुभी हुई  कील को निकाल देता है।
         इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि मस्तिष्क ज्ञानेंद्रियों से मिले संवेद का विश्लेषण कर प्रत्यक्ष ज्ञान कराता है और उसके अनुरूप प्रतिक्रिया के लिए इन्द्रियों को तत्काल आदेश भी देता है। मस्तिष्क का यह कार्य प्रकृति के अनुसार निर्बाध चलता रहता है।मस्तिष्क में ही बुद्धि का निवास है और उसी बुद्धि के अनुसार मस्तिष्क सभी संवेदों का अवगम/प्रत्यक्ष ज्ञान करता है।इतने विवेचन के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इंद्रियों पर नियंत्रण के लिए ज्ञानेंद्रियों पर भी नियंत्रण करना क्यों आवश्यक है?
क्रमशः
प्रस्तुति -डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

No comments:

Post a Comment