Friday, January 25, 2019

पुनर्जन्म-9

पुनर्जन्म -9
संवेदन(Sensation)-
संवेद के जो संकेत मस्तिष्क तक पहुंचते हैं,उनका विश्लेषण मस्तिष्क करता है और उस संवेद का प्रत्यक्ष ज्ञान कराता है। मस्तिष्क संवेद का यह प्रत्यक्ष ज्ञान कराता किसको है? न तो इस ज्ञान का अनुभव इंद्रियों को होता है और न ही इस ज्ञान का अनुभव शरीर को होता है।प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव सर्वप्रथम मन को होता है क्योंकि बुद्धि के नीचे मन ही है।आत्मा के पास ज्ञानेंद्रियों के संवेदों का प्रत्यक्ष ज्ञान इसलिए नहीं जा सकता क्योंकि इंद्रियों का ज्ञान असत का ज्ञान है और आत्मा सत है।असत का ज्ञान असत की तरफ ही जाएगा सत की ओर नहीं।हाँ, आत्मा जब भौतिक शरीर में प्रवेश कर मन और इंद्रियों को अपनी तरफ आकर्षित कर (मनः षष्ठानिन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति।गीता-15/7) उनके साथ संलग्न हो जाती है तब वह असत मन और इन्द्रिय जनित सुख-दुःख को भोगने लगती है।वह भी मन के साथ होकर उसके संवेदन के अनुसार अरुचिकर और रुचिकर में भेद करने लग जाती है।
        सारांश यह है कि आत्मा तक यह ज्ञान केवल मन के माध्यम से ही पहुंच सकता है अन्यथा नहीं और वह भी तब जब आत्मा मन के माध्यम से मिले प्रत्यक्ष ज्ञान का अनुभव करना चाहे।मन आत्मा को प्रत्यक्ष ज्ञान उपलब्ध अवश्य कराता है परंतु वह देता है उस ज्ञान को संवेदन के रूप में।उसी ज्ञान की प्रतिक्रिया को ज्ञानेंद्रियों और कर्मेन्द्रियों के माध्यम से भौतिक शरीर व्यक्त करता है।मन को अनुभव हुए इस ज्ञान की प्रतिक्रिया को संवेदन (sensation) कहा जाता है।
        इतने विवेचन से दो बातें हमारे समक्ष स्पष्ट रूप से निकल कर आती है।नम्बर एक- शरीर की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रत्यक्ष ज्ञान की प्रतिक्रिया मस्तिष्क के माध्यम से होती है, जो कि बुद्धि का कार्य है।नम्बर दो- शरीर की सुरक्षा करने के अतिरिक्त जो भी प्रत्यक्ष ज्ञान हो उसकी प्रतिक्रिया मन देता है। इस प्रकार मन में उत्पन्न संवेदन में केवल मन की भूमिका होती है।उसी संवेदन के अनुरूप मन प्रतिक्रिया करता है, मस्तिष्क (बुद्धि)उसमें केवल तभी हस्तक्षेप करती है, जब मन की प्रतिक्रिया अनुचित हो लेकिन बुद्धि केवल उस अनुचित प्रतिक्रिया के  प्रति मन को मात्र चेतावनी ही दे सकती है, स्वयं उस प्रतिक्रिया को परिवर्तित नहीं कर सकती ।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

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