मगहर-
कहा जाता है कि काशी में जो अपनी देह त्यागता है, उसको मोक्ष प्राप्त होता है । उत्तर प्रदेश में ही काशी से 190 किलोमीटर दूर संत कबीर नगर जिले में एक छोटा सा कस्बा है, मगहर। उसका नाम मगहर क्यों पड़ा ? जब भगवान बुद्ध के शिष्य धर्म प्रचार के लिए निकलते थे,उस समय यहां के लोग उनके साथ दुर्व्यवहार किया करते थे । तब बुद्ध ने कहा था कि इस रास्ते को छोड़ कर दूसरे मार्ग से जाया करो, इस मग को छोड़ दो अर्थात मगहर। इस स्थान के लोग प्राचीन समय में अधर्म के मार्ग पर चलने लगे थे अर्थात उन्होंने परमात्मा के मार्ग पर चलना छोड़ दिया था।इसी कारण से इस स्थान को मगहर कहा जाने लगा होगा।
मगहर के बारे में किवदंती है कि उस स्थान पर जिसकी मृत्यु होती है वह अगले जन्म में गधा बनता है अथवा नरकगामी होता है।यह अंधविश्वास शताब्दियों से चला आ रहा था। कबीर का जन्म स्थान काशी था। वे जीवन भर समाज और धर्म में बढ़ रहे अंधविश्वास का जमकर विरोध करते रहे थे। मगहर के बारे में प्रचारित अंधविश्वास को तोड़ने के लिए उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में देह त्यागने के लिए काशी के स्थान पर मगहर को चुना। मृत्यु से पूर्व उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे उन्हें काशी से मगहर ले चलें। इस प्रकार उनकी मृत्यु मगहर में ही हुई।आज उस स्थान पर उनकी समाधि भी बनी हुई है और मज़ार भी है।
वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदायों में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों पर जीवन भर अपने दोहों के माध्यम से करारी चोट करते रहे। उसी का परिणाम है कि लोगों ने उनकी बातों को गंभीरता से लिया और काफी हद तक कुरीतियों और अंधविश्वासों को त्याग दिया। काशी के बारे में अभी भी इस बात पर विश्वास किया जाता है कि यहां आकर शरीर त्यागने पर मोक्ष प्राप्त होता है परंतु आज मगहर इस अंधविश्वास से पूर्णतया मुक्त हो चुका है।
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
कहा जाता है कि काशी में जो अपनी देह त्यागता है, उसको मोक्ष प्राप्त होता है । उत्तर प्रदेश में ही काशी से 190 किलोमीटर दूर संत कबीर नगर जिले में एक छोटा सा कस्बा है, मगहर। उसका नाम मगहर क्यों पड़ा ? जब भगवान बुद्ध के शिष्य धर्म प्रचार के लिए निकलते थे,उस समय यहां के लोग उनके साथ दुर्व्यवहार किया करते थे । तब बुद्ध ने कहा था कि इस रास्ते को छोड़ कर दूसरे मार्ग से जाया करो, इस मग को छोड़ दो अर्थात मगहर। इस स्थान के लोग प्राचीन समय में अधर्म के मार्ग पर चलने लगे थे अर्थात उन्होंने परमात्मा के मार्ग पर चलना छोड़ दिया था।इसी कारण से इस स्थान को मगहर कहा जाने लगा होगा।
मगहर के बारे में किवदंती है कि उस स्थान पर जिसकी मृत्यु होती है वह अगले जन्म में गधा बनता है अथवा नरकगामी होता है।यह अंधविश्वास शताब्दियों से चला आ रहा था। कबीर का जन्म स्थान काशी था। वे जीवन भर समाज और धर्म में बढ़ रहे अंधविश्वास का जमकर विरोध करते रहे थे। मगहर के बारे में प्रचारित अंधविश्वास को तोड़ने के लिए उन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय में देह त्यागने के लिए काशी के स्थान पर मगहर को चुना। मृत्यु से पूर्व उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे उन्हें काशी से मगहर ले चलें। इस प्रकार उनकी मृत्यु मगहर में ही हुई।आज उस स्थान पर उनकी समाधि भी बनी हुई है और मज़ार भी है।
वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदायों में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों पर जीवन भर अपने दोहों के माध्यम से करारी चोट करते रहे। उसी का परिणाम है कि लोगों ने उनकी बातों को गंभीरता से लिया और काफी हद तक कुरीतियों और अंधविश्वासों को त्याग दिया। काशी के बारे में अभी भी इस बात पर विश्वास किया जाता है कि यहां आकर शरीर त्यागने पर मोक्ष प्राप्त होता है परंतु आज मगहर इस अंधविश्वास से पूर्णतया मुक्त हो चुका है।
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
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