Saturday, January 19, 2019

पुनर्जन्म-3

पुनर्जन्म -3
   11इंद्रियों में मन सबका राजा है।मन को राजा बताने का अर्थ है कि शेष सब इंद्रियां राजा के आदेशानुसार आचरण करती है।पांच कर्मेन्द्रियों के बारे में तो यह बात सत्य हो सकती है परंतु पांच ज्ञानेंद्रियों के बारे में ऐसा कहना उचित नहीं जान पड़ता।कर्मेन्द्रियाँ(हाथ,पांव,जीभ/वाक, पायु और उपस्थ) तो मन के अनुसार कार्य कर सकती है क्योंकि उनको कर्म करने का आदेश ही मन से मिलता है परंतु ज्ञानेंद्रियों का स्थान तो मन से पहले है, उन पर मन का आदेश प्रभावी कैसे हो सकता है?यहां आकर आपको अनुभव हो सकता है कि मैं लीक से हटकर कुछ कह रहा हूँ।हाँ, थोड़ा सा परम्परागत कथन से मेरा कथन भिन्न अवश्य है परंतु विपरीत नहीं है।ज्ञानेन्द्रियाँ (कान,त्वचा,नेत्र, जिह्वा और नाक) अपने प्राकृतिक कार्य करने को स्वतंत्र है, उनके कार्य में मन की कोई भूमिका नहीं है।इसलिए हम सर्वप्रथम ज्ञानेंद्रियों के बारे में चर्चा करते हैं।ज्ञानेंद्रियों का कार्य है-संवेद (sense) के सन्देश को मस्तिष्क तक प्रेषित करना।संवेद के संदेश को मस्तिष्क तक भेजने में मन की कोई भूमिका नहीं है अतः कहा जा सकता है कि ज्ञानेन्द्रियाँ स्वतंत्र है, अपना कार्य करने में।
        आज हम कलियुग में जी रहे हैं।इस समय धर्म-शास्त्रों में वर्णित ज्ञान का मखौल उड़ाना एक परंपरा सी बनती जा रही है।जो व्यक्ति धर्म ग्रंथों की जितनी अधिक आलोचना करता है, वह उतना ही अधिक आधुनिक समझा जाता है।सनातन धर्मियों के लिए यह चिंतनीय समय है। युवा पीढ़ी ऐसी आलोचनाओं से भ्रमित होती जा रही है।उनको सही मार्ग पर लाने का एकमात्र उपाय है, आधुनिक विज्ञान का सहारा लेते हुए धर्म शास्त्रों में लिखी बातों को सत्य साबित किया जाए। केवल इसी मार्ग से युवाओं को दिग्भ्रमित होने से रोक जा सकता है।यही एक मात्र कारण है, जो मैं सनातन धर्मशास्त्रों का वैज्ञानिक तरीके से विवेचन करता हूँ।वैसे संसार में जितने भी धर्म है उनमें केवल सनातन धर्म ही पूर्णतया एक मात्र वैज्ञानिक धर्म है।हमारे शास्त्रों में लिखी प्रत्येक बात को विज्ञान के आधार पर सिद्ध किया जा सकता है।दूसरे शब्दों में कहूँ तो कह सकता हूँ कि आज के विज्ञान के सभी अन्वेषण हमारे शास्त्रों पर ही आधारित हैं और इन्हीं शास्त्रों से लेकर विज्ञान उन्हीं की नए रूप से प्रस्तुति मात्र है।
     विज्ञान और शास्त्र ज्ञानेंद्रियों में उत्पन्न होने वाले संवेद के बारे में क्या कहते हैं,जानना आवश्यक है।तो आइए सर्वप्रथम संवेद के बारे में जान लेते हैं।
क्रमशः
प्रस्तुति - डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

No comments:

Post a Comment