Wednesday, March 20, 2019

रामकथा-24-रामावतार के हेतु-

रामकथा-24-रामावतार के हेतु-
           "प्रत्येक कार्य के मूल में संकल्प अवश्य होता है।पूर्व जन्म का संकल्प आज फलीभूत है, आज का संकल्प कल फलीभूत होगा।"
       प्रत्येक प्राणी के जन्म के लिए मानव जीवन में किये गए संकल्प(resolution) ही उत्तरदायी होते हैं।भगवान राम का अवतार लेना भी इन्हीं संकल्पों का परिणाम है।संकल्प पूरा कैसे होता है ? संकल्प पूरे होते हैं, कर्म करने से। कर्मों से ही कर्मफल उत्पन्न होते है, जिन्हें भुगतने और भुगताने के लिए इस संसार में जन्म लेना पड़ता है।कहने का अर्थ है कि संकल्प पूर्ण करने का एक ही विकल्प (alternative, choice) है, कर्म करना। कर्म किये बिना संकल्प पूरे नहीं किये जा सकते।इसीलिए यह कहा जाता है कि अगर जीवन में शांति चाहिए तो संकल्प रहित हो जाइए।राम जन्म के पीछे भी ऐसे ही कुछ संकल्प विकल्प थे जिनके कारण ब्रह्म को इस संसार में मानव रूप में अवतरित होना पड़ा।साधारण मनुष्य और परमात्मा के संकल्प में बड़ा मूलभूत अंतर होता है। मनुष्य संकल्प को अपने स्तर पर पूरा करने के लिए जी जान लगाकर कर्म करता है जबकि परमात्मा अपने संकल्प पूरा करने की लीला करते हैं, जोकि मात्र नाटक में किये जाने वाले अभिनय से अधिक नहीं होता है।जिस समय हमें आत्मज्ञान हो जाता है, हमारे कर्म, हमारा जीवन, आचार, विचार, व्यवहार आदि सब लीला बनकर रह जाते हैं और हम स्वयं ही परमात्मा हो जाते हैं।
       जीवन में कर्म तो करने ही पड़ेंगे, परंतु कर्मों के कर्ता नहीं बनोगे तो कर्मफल भी नहीं बनेंगे।हम संकल्प को पूरा करने के लिए कर्ता बन जाते हैं, यही बात हमें स्वयं को परमात्मा बनने से दूर ले जाती है।अब देखिए, कैसे बिना कर्तापन के परमात्मा दूसरे मनुष्यों के कर्मों के आधार पर अवतार लेते हैं।यह जानने के लिए चलते हैं, मनु और शतरूपा के पास।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

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