Monday, October 31, 2016

अष्टधा-प्रकृति

            भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियाँ थी । अष्टधा प्रकृति ही वे आठ पटरानियाँ हैं । ईश्वर इन सभी प्रकृतियों के स्वामी हैँ । ये प्रकृतियाँ परमात्मा की सेवा करती हैँ । 
"
भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च ।
अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा ।" (गीता 7/4 )!!
           जीव प्रकृति के अधीन है । ईश्वर प्रकृति के अधीन नहीं है। जीव अष्टधा प्रकृति के वश में  आ जाता है, जबकि ईश्वर उनको अपने वश में करते है । प्रकृति अर्थात् स्वभाव । स्वभाव के अधीन होने के बदले स्वभाव को प्रकृति को वशीभूत करने वाला जीव सुखी हो जाता है , मुक्त हो जाता है ।
||हरिः शरणम् ||

1 comment: