इस भौतिक शरीर में प्रकृति के तीनों
गुण होते हैं क्योंकि यह प्रकृति के द्वारा ही निर्मित है | मनुष्य जीवन में इन
तीनों गुणों को परिवर्तित किया जा सकता है | सात्विक गुणों से व्यक्ति तामसिक गुणों
की और अग्रसर हो सकता है और ऐसे ही तामसिक गुणों को व्यक्ति अपने जीवन में सात्विक
गुणों में बदल सकता है | यही गुण देहत्याग के बाद अगले मनुष्य जन्म में पहुंचते
हैं | इन गुणों के कारण ही व्यक्ति का शरीर, स्वभाव व बुद्धि संचालित होती है |
जन्म-जात व्याधियां पूर्व मनुष्य जीवन से सम्बन्ध अवश्य ही रखती है | जीवन के मध्य
में यदा कदा आई अल्पकालीन बीमारियाँ गुणों में अस्थाई परिवर्तन के कारण होती हैं
और वे कुछ समय बाद ठीक हो जाती हैं | यह गुणों में अस्थाई परिवर्तन देश, काल और
परिस्थितियों पर निर्भर करता है | इन बीमारियों का पूर्व-जन्म से नाममात्र का
सम्बन्ध होता है और वह किसी पूर्वजन्म के कर्मफल को भोगने के लिए दुःख स्वरूप आती
हैं | जब वर्तमान मानव जीवन में कोई लम्बी बीमारी शरीर को घेर लेती है, तब व्यक्ति
के गुणों में स्थाई परिवर्तन आ जाता है जो देहत्याग के बाद नए मानव-जीवन में
जन्म-जात अथवा असाध्य रोग के रूप में प्रकट होता है |
आयुर्वेद के अनुसार कफ़, वात और पित्त
इन तीनों के मध्य असंतुलन पैदा हो जाने के फल स्वरूप व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है
| प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति में कफ़, वात और पित्त का एक निश्चित अनुपात बना रहता है | उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति में सत्व,
रज और तम तीनों गुण भी उपस्थित रहते हैं | कफ़ भौतिक गुण व तम का द्योतक है, पित्त
रासायनिक गुण व रज का प्रतिनिधित्व करता है जबकि वात विद्युतीय गुण व सत्व का | जब
कफ़ दोष होता है तो तामसिक गुण बढ़ता है और भौतिक शरीर प्रभावित होता है जिसके
अंतर्गत आने वाली बीमारियाँ हैं- दमा, बुखार, क्षय रोग, विभिन्न संक्रमण आदि | जब
पित्त दोष होता है तब मानसिक असंतुलन, मांसपेशियों की खराबी, ह्रदय रोग, आंत्र शोध,
वमन आदि बीमारियाँ पैदा हो जाती है | जब वात दोष होता है तब ह्रदय की धड़कन का बढ़
जाना, मिर्गी के दौरे पड़ना, पागलपन और स्नायु से सम्बंधित रोग पैदा होते हैं | इस
प्रकार जो भी गुण प्रभावित होता है और वह प्रभाव अगर स्थाई होता है, तो निश्चित
रूप से अगले मानव-जन्म में अवश्य ही उसका प्रभाव पड़ेगा और उसी के अनुरूप उस जीवन
में वह व्यक्ति रोग ग्रस्त होगा | यहाँ यह
ध्यान देने योग्य है कि तीनों गुणों में से जिस भी गुण में दोष पैदा होगा उसी के
अनुसार नए जीवन में बीमारियों का प्रकट होना निश्चित है |
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश
काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
आज दीपावली का पर्व
है | परमात्मा आपके जीवन को सदैव आलोकित करते रहें, यही कामना है | आप सभी
महानुभावों को दीपोत्सव की ह्रदय से शुभ कामनाएं |
|| हरिः शरणम् ||
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