गते शोको न कर्तव्यों भविष्यं नैव चिन्तयेत |
वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः || चाणक्य नीति-13/2 ||
जो हो चूका सो हो चूका, उस पर अफ़सोस नहीं करना चाहिए; आने वाले समय की भी इतनी
चिंता नहीं करनी चाहिए | चतुर लोग वर्तमान काल में ही सुलभ साधनों से अपना काम
निकाल लेते हैं |
|| हरिः शरणम् ||
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