Friday, September 30, 2016

चाणक्य-नीति-7

                 गते शोको न कर्तव्यों भविष्यं नैव चिन्तयेत |
                 वर्तमानेन कालेन प्रवर्तन्ते विचक्षणाः || चाणक्य नीति-13/2 ||

                 जो हो चूका सो हो चूका, उस पर अफ़सोस नहीं करना चाहिए; आने वाले समय की भी इतनी चिंता नहीं करनी चाहिए | चतुर लोग वर्तमान काल में ही सुलभ साधनों से अपना काम निकाल लेते हैं |
|| हरिः शरणम् ||

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