Saturday, September 24, 2016

चाणक्य-नीति-1

चला लक्ष्मीश्चलाः प्राणाश्चले जीवनमन्दिरे |
चला चले च संसारे धर्म एकोहि निश्चलः || चाणक्यनीति-5/20 ||

                    धन सम्पति अस्थायी है, प्राण भी अस्थायी है और जीवन तथा घर भी अस्थायी है | इस प्रकार यह सारा संसार ही अस्थायी है | केवल मात्र धर्म ही आत्मा के साथ रहने वाली स्थाई वस्तु है |
                || हरिः शरणम् |||

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