Wednesday, September 28, 2016

चाणक्य-नीति-5

चाणक्य-नीति-5
दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता | अभ्यासेन न लभ्यरेन् चत्वारः सहजागुणा: || वृद्ध चाणक्य || देने का गुण, मधुर बोलने का गुण, धैर्यशीलता और विवेकशीलता; ये चार गुण जन्मतः प्राप्त होते हैं, अभ्यास से इन्हें प्राप्त नहीं किया जा सकता |
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश काछवाल
||हरिः शरणम् ||

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