दिनांक-21/9/2016-सायंकालीन
सत्र-
आज सायंकालीन सत्र में बोलते
हुए आचार्य श्री गोविन्द राम शर्मा ने परमात्मा की शीघ्र प्राप्ति का अंतिम महत्त्वपूर्ण
सूत्र अनन्य भक्ति को बताया | अनन्य का अर्थ है उसके समान अन्य किसी का न होना | परमात्मा के अतिरिक्त इस दृश्यमान और अदृश्य जगत में कोई नहीं है, यह मानते हुए उसकी भक्ति करना ही अनन्य
भक्ति है | आचार्य जी ने इस अनन्य भक्ति को समझने हेतु गीता के दो श्लोक उद्घृत
किये |
भक्त्या त्वनन्यया शक्य
अहमेवंविधोSर्जुन |
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्त्वेन
प्रवेष्टुं च परन्तप || गीता-11/54 ||
अर्थात
हे परन्तप अर्जुन ! अनन्य भक्ति के द्वारा इस प्रकार चतुर्भुज रूप वाला मैं
प्रत्यक्ष देखने के लिये, तत्व से जानने के लिये तथा प्रवेश करने के लिए अर्थात
एकीभाव से प्राप्त होने के लिए भी शक्य हूँ |
इस श्लोक को स्पष्ट करते हुए आचार्य
जी कहते हैं कि ज्ञान-मार्ग से परमात्मा को जाना जा सकता है, परमात्मा में प्रवेश
भी किया जा सकता है अर्थात परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है परन्तु उसे देखा
नहीं जा सकता | परमात्मा को जानना, देखना और पाना तीनों तो केवल अनन्य भक्ति से ही
संभव है | अनन्य भक्ति को स्पष्ट करते हुए भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को कहते हैं-
मत्कर्मकृन्मत्परमो मद्भक्तः संगवार्जितः
|
निर्वैरः सर्वभूतेषु यः स
मामेति पाण्डव || गीता-11/55 ||
अर्थात
हे अर्जुन ! जो पुरुष केवल मेरे लिए ही सम्पूर्ण कर्तव्य कर्मों को करने वाला है,
मेरे परायण है, मेरा भक्त है, आसक्ति रहित है और सम्पूर्ण भूत प्राणियों में वैर
भाव से रहित है, वह अनन्य भक्ति युक्त पुरुष मुझको ही प्राप्त होता है |
इस श्लोक को स्पष्ट करते हुए
आचार्य जी कहते हैं कि अनन्य भक्त कर्तव्य कर्मों को करता है , मुझमें श्रद्धा
रखते हुए किसी भी प्रकार की आसक्ति रहित होकर मेरे को ही भजता है | किसी भी प्रकार
की आसक्ति से सदैव अपने आप को दूर रहता है | सभी प्राणियों के प्रति सम भाव रखते
हुए वैर भाव से रहित होने वाला भक्त ऐसी अनन्य भक्ति द्वारा मुझे सहज ही प्राप्त
कर लेता है |
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश
काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
दिनांक 21/9/2016 के सायं कालीन सत्र के
साथ ही आचार्य श्री गोविन्द राम शर्मा ने ‘शरणागति’
और ‘परमात्मा की शीघ्र प्राप्ति कैसे हो?’ दोनों ही विषय पर प्रवचन का समापन कर
दिया | दिनांक 22/9/2016 को दोनों सत्र में शंका-समाधान किया गया | प्रबुद्ध
श्रोतागणों अपने-अपने विचार इन सत्रों में रखे | तत्पश्चात संध्या आरती हुई और
सप्त-दिवसीय इस दुर्लभ भक्ति-ज्ञान यज्ञ का समापन हुआ |आज दिनांक-23/9/2016 को
प्रातः 5 बजे से 6 बजे तक नित्य-स्तुति होगी और फिर आचार्य श्री गोविन्द राम शर्मा
सालासर के लिए प्रस्थान करेंगे | इस कार्यक्रम का लाभ आपको किस प्रकार मिला अथवा
इस कार्यक्रम से सम्बंधित आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है | इस कार्यक्रम में कुछ
कमियां भी रही होंगी, इसका आकलन आपने किया
हो तो अवश्य ही अवगत कराने का परिश्रम करें, जिससे अगले आयोजित होने वाले
कार्यक्रम में उन्हें दूर किया जा सके |
आप सभी के अनुकरणीय सहयोग के
प्रति हरि: शरणम् जन कल्याण परिषद आभार व्यक्त करती है |
प्रस्तुति-
डॉ.प्रकाश काछवाल
|| हरिः
शरणम् ||
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