परम - ब्रह्म ही सत है और असत ,इसीलिए वह इन दोनों से परे भी है । आज हम इस परम-ब्रह्म की सत और असत प्रकृतियों की चर्चा करेंगे । हम जिस संसार में रहते है,वह इस परमात्मा की असत प्रकृति है । इसी कारण से संसार को असत्य कहा गया है । संसार सबसे अधिक परिवर्तनशील है । पल पल में बदलते जा रहे संसार की आप अनुभूति भी कर सकते हैं । आप इस भौतिक शरीर को ही लें,यह हर पल बदलता जा रहा है । आपको इसकी अनुभूति तत्काल इसलिए नहीं हो पाती क्योंकि सांसारिक क्रिया कलापों में हम इतने व्यस्त रहते हैं कि परिवर्तन की तरफ झांकने का अवसर ही नहीं मिल पाता । बालक के जन्म लेने के बाद जो उसका विकास होता है-मानसिक और शारीरिक ,वह सब होते जा रहे परिवर्तन की निरंतरता को ही अभिव्यक्त करते हैं । फिर शरीर युवावस्था प्राप्त करता है,तब भी निरंतर परिवर्तन चलता रहता है । वृद्धावस्था में शारीरिक परिवर्तन की गति अत्यधिक तीव्र हो जाती है । शरीर के अतिरिक्त भी आप संसार में प्रत्येक स्थान पर होने वाले परिवर्तन को देख सकते है । पृथ्वी का निरंतर गतिमान रहना,नदियों में जल का बहाव,समन्दर में उठती लहरें ,हवा का कभी तेज और कभी मंद गति से बहना ,ग्रहों और अन्य आकाशीय पिंडो का रोजाना अपनी स्थिति बदल लेना,मौसम का सतत परिवर्तन,पेड़ों और पौधों का बढ़ना आदि असंख्य उदाहरण मिल जायेंगे जो संसार की निरंतर परिवर्तनशीलता को अभिव्यक्त करते हैं ।
पवित्र धर्म-शास्त्र कहते हैं कि यह उस परम-ब्रह्म की असत प्रकृति ही है । असत प्रकृति दो प्रकार की बताई गयी है-रूप और नाम । रूप निरंतर परिवर्तन शील है । बच्चे का बाल रूप युवा होते होते पूर्ण रूप से बदल जाता है । आज आप जिस रास्ते से गुजरें है,कल पुनः उस रास्ते से होकर आइये । आपको उस रास्ते के स्वरूप में अंतर अवश्य मिलेगा । कल तक सरस्वती नदी कल कल बहा करती थी आज उसका स्वरुप कहीं पर भी नज़र नहीं आता । गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर का निरंतर रूप बदलता जा रहा है । आज वह सिमट कर छोटा सा रह गया है । कल जिसके आप जयकारे लगा रहे थे वे आज मिट्टी में समा चुके हैं ।कल जो सुंदरी ब्रह्माण्ड सुंदरी बनी थी उसका वो रूप क्या आप आज देख सकते हैं ? इसी लिए रूप उस परमात्मा की एक परिवर्तनशील असत प्रकृति है ।
नाम भी परिवर्तनशील है । आज अभी इस जन्म में आपका नाम जो है वह पूर्व जन्म में कुछ अन्य था और न जाने आपका नाम अगले जन्म में क्या होगा ? आज को हम वर्तमान के नाम से पुकारते है,यही वर्तमान कल भूतकाल से पुकारा जाने लगेगा । आपका आने वाला कल आपका भविष्य काल है । २४ घंटे बाद आप उसे आपका वर्तमान कहेंगे । आज़ादी की लड़ाई में हजारों लोगों ने अपने जीवन की आहुति दी थी । आज हमें उनमे से केवल अँगुलियों पर गिन सकने वाले नाम याद है और भविष्य में हम उन्हें भी भूल जायेंगे । आज हम अपने देश को भारत कहते हैं । कई वर्षों पहले यही देश आर्यावर्त कहलाता था । सन् १९४७ से पहले पाकिस्तान और सन् १९७१ से पहले बांग्लादेश नाम के देश के नाम भी भारत हुआ करता था । यह नाम उस परमात्मा की परिवर्तनशील प्रकृति है। आप अगर अपने चारों और गंभीरता से अवलोकन करेंगे तो नाम की परिवर्तनशीलता प्रत्येक स्थान पर नज़र आएगी । कल की काशी आज की वाराणसी,कल का प्रयाग आज का इलाहाबाद आदि आदि ।
मैंने आज आपको परमात्मा की असत प्रकृति के दर्शन कराये है । असत प्रकृति भी परमात्मा का एक सत्य है । इसे असत्य नहीं कहा जा सकता , क्योंकि संसार में परिवर्तन होना , चाहे वह रूप-स्वरुप का परिवर्तन हो अथवा नाम का ,सब सत्य ही है ।
क्रमशः
|| हरिः शरणम् ||
पवित्र धर्म-शास्त्र कहते हैं कि यह उस परम-ब्रह्म की असत प्रकृति ही है । असत प्रकृति दो प्रकार की बताई गयी है-रूप और नाम । रूप निरंतर परिवर्तन शील है । बच्चे का बाल रूप युवा होते होते पूर्ण रूप से बदल जाता है । आज आप जिस रास्ते से गुजरें है,कल पुनः उस रास्ते से होकर आइये । आपको उस रास्ते के स्वरूप में अंतर अवश्य मिलेगा । कल तक सरस्वती नदी कल कल बहा करती थी आज उसका स्वरुप कहीं पर भी नज़र नहीं आता । गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री ग्लेशियर का निरंतर रूप बदलता जा रहा है । आज वह सिमट कर छोटा सा रह गया है । कल जिसके आप जयकारे लगा रहे थे वे आज मिट्टी में समा चुके हैं ।कल जो सुंदरी ब्रह्माण्ड सुंदरी बनी थी उसका वो रूप क्या आप आज देख सकते हैं ? इसी लिए रूप उस परमात्मा की एक परिवर्तनशील असत प्रकृति है ।
नाम भी परिवर्तनशील है । आज अभी इस जन्म में आपका नाम जो है वह पूर्व जन्म में कुछ अन्य था और न जाने आपका नाम अगले जन्म में क्या होगा ? आज को हम वर्तमान के नाम से पुकारते है,यही वर्तमान कल भूतकाल से पुकारा जाने लगेगा । आपका आने वाला कल आपका भविष्य काल है । २४ घंटे बाद आप उसे आपका वर्तमान कहेंगे । आज़ादी की लड़ाई में हजारों लोगों ने अपने जीवन की आहुति दी थी । आज हमें उनमे से केवल अँगुलियों पर गिन सकने वाले नाम याद है और भविष्य में हम उन्हें भी भूल जायेंगे । आज हम अपने देश को भारत कहते हैं । कई वर्षों पहले यही देश आर्यावर्त कहलाता था । सन् १९४७ से पहले पाकिस्तान और सन् १९७१ से पहले बांग्लादेश नाम के देश के नाम भी भारत हुआ करता था । यह नाम उस परमात्मा की परिवर्तनशील प्रकृति है। आप अगर अपने चारों और गंभीरता से अवलोकन करेंगे तो नाम की परिवर्तनशीलता प्रत्येक स्थान पर नज़र आएगी । कल की काशी आज की वाराणसी,कल का प्रयाग आज का इलाहाबाद आदि आदि ।
मैंने आज आपको परमात्मा की असत प्रकृति के दर्शन कराये है । असत प्रकृति भी परमात्मा का एक सत्य है । इसे असत्य नहीं कहा जा सकता , क्योंकि संसार में परिवर्तन होना , चाहे वह रूप-स्वरुप का परिवर्तन हो अथवा नाम का ,सब सत्य ही है ।
क्रमशः
|| हरिः शरणम् ||
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