नई श्रृंखला प्रारम्भ करने से पहले मैं श्री
अशोक जी के एक प्रश्न का उत्तर देना चाहूँगा | अशोक जी ने पूछा है कि क्या शारीरिक
रोग होने के पीछे पूर्वजन्म का कोई सम्बन्ध है ? आदरणीय अशोक जी पिछले कुछ दिनों
से चिकनगुनिया नामक बीमारी से ग्रस्त हैं | यह बीमारी जिसको एक बार हो जाती है,
उसको तोड़ कर रख देती है | जितनी शारीरिक पीड़ा इस रोग के कारण होती है, शायद ही अन्य
किसी रोग में होती होगी | व्यक्ति चलने-फिरने से मजबूर हो जाता है | आज भी
चिकित्सा विज्ञान के पास इसके निराकरण का कोई विश्वसनीय उपाय नहीं है, दावे चाहे विभिन्न
चिकित्सा पद्धतियाँ कितना भी करती होंगी | यह रोग केवल शरीर को ही नहीं बल्कि मन
तक को प्रभावित कर देता है | अतः यह जानना आवश्यक है कि मन और शरीर को इस व्यथा से
मुक्त करें ?
मानसिक रोग को आधि (Psychic disease) और शारीरिक
रोग (Physical disease) को व्याधि कहा जाता है | इन दोनों का आपस में घनिष्ठ
सम्बन्ध है | आधि व्याधि पैदा करती है और व्याधि आधि | मानसिक पीड़ाएं जन्म-जन्मान्तर
तक साथ चलती है जो मनुष्य की शारीरिक पीड़ा का भी एक कारण बनती है | व्याधियां वर्तमान
जन्म में विभिन्न कारणों से पैदा होती है जो फिर सतत चलते रहने से मानसिक व्यथा भी
पैदा कर आधि को जन्म देती है | व्याधियों का उपचार दवाओं के माध्यम से किया जा
सकता है |आधि का उपचार केवल ज्ञान से ही हो सकता है और वह ज्ञान है मन पर पूर्ण
नियंत्रण | अगर मन पर शीघ्र ही नियंत्रण स्थापित नहीं किया जा सका तो फिर यह आधि
अगले जन्म में जाकर आधि और व्याधि दोनों को उत्पन्न कर सकती है | आधि पैदा होती है,
कामनाओं और इच्छाओं के मन में बार-बार जन्म लेते रहने से | मन को जीत न पाने के
कारण यह आधि स्थाई हो जाती है जो बाद में कई प्रकार की व्याधियों की जनक बनती है |
जैसा कि हम जानते हैं कि कामनाएं जीवन भर ही नहीं कई जन्मों तक हमारा पीछा नहीं
छोड़ती अतः माना जा सकता है कि हमारी शारीरिक और मानसिक बीमारियों का कारण
पूर्वजन्म में भी निहित है |
सन्दर्भ- योगवासिष्ठ
–सर्ग-81
प्रस्तुति- डॉ.
प्रकाश काछवाल
||हरिः शरणम् ||
कृपया इसका पूर्ण संदर्भ देने की कृपा करे।
ReplyDeleteक्योंकि योगवाशिष्ठ में 6 प्रकरण है और प्रत्येक प्रकरण में सर्ग है। आधि और व्याधि का वर्णन किस प्रकरण में है इसका उल्लेख करें।धन्यवाद