Wednesday, December 19, 2018

अविरल जीवन (Life is continuous)-2

अविरल जीवन (Life is continuous)-2
           जीवन को समझने के लिए केवल वैज्ञानिक प्रयोग करते रहना ही पर्याप्त नहीं है, कुछ दार्शनिकता का मिश्रण भी ऐसे प्रयोगों में करना आवश्यक है | आप यह न समझें कि आधुनिक विज्ञान की उपलब्धि पर मैं किसी भी प्रकार का कोई संदेह कर रहा हूँ बल्कि यह कहना चाहता हूँ कि विज्ञान की मात्र इतनी सी उपलब्धियां ही इस जीवन को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है | मैं स्वयं विज्ञान के एक क्षेत्र में विशेषज्ञ हूँ इसलिए विज्ञान पर मेरे द्वारा अविश्वास करने का प्रश्न ही नहीं उठता | हमारे जीवन और इस जीवन के आधारभूत परमात्मा को समझने के लिए अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए अपनी बात एक दृष्टान्त से प्रारम्भ करना चाहूँगा | इस दृष्टान्त में एक मां के गर्भ में एक साथ पल रहे दो शिशुओं के मध्य हुआ वार्तालाप है | इस दृष्टान्त को मैंने अपने चिकित्सा-शिक्षा प्राप्त करने की अवधि में सहपाठी रहे मॉरिशस के एक मित्र डॉ. जे. एन. वर्मा के व्हाट्सएप्प सन्देश से लिया है | उन्होंने यह संदेश अंग्रेजी भाषा में भेजा है, जिसका हिंदी रूपांतरण प्रस्तुत कर रहा हूँ। संदेश लंबा है, धैर्य और गंभीरता के साथ पढ़ें। इस श्रृंखला का मुख्य आधार यह सन्देश ही है |
             एक मां के गर्भ में दो जुड़वां शिशु पल रहे थे | पूर्ण विकसित होकर प्रसव से पहले एक दिन एक शिशु ने दूसरे शिशु से पूछा - “क्या तुम प्रसव के बाद भी जीवन के होने में विश्वास करते हो ?” दूसरे ने उत्तर दिया – “क्यों नहीं ? जीवन के होने में भी क्या किसी प्रकार का कोई संदेह हो सकता है ?” प्रसव के बाद कुछ होता अवश्य ही है, इतना मैं अवश्य जनता हूँ | प्रसव के बाद जो कुछ भी होता है, वह बिना जीवन के हुए होना संभव नहीं है | इसका अर्थ यह है कि प्रसव के बाद भी जीवन है | हम दोनों जीवन भी प्रसव होने के बाद भी निरंतर चलता रहेगा | प्रसव के बाद जीवन में हमारा भविष्य कैसा होगा और हम क्या और कैसे होंगे, हमारी यह आज की गर्भावस्था उस जीवन की तैयारी मात्र ही तो है |”
        “मैं नहीं मानता |” पहला शिशु बोला | ”प्रसव के बाद कोई जीवन नहीं है | एक क्षण के लिए अगर प्रसव के बाद जीवन होना मान भी लूं तो बताओ प्रसव के बाद का वह जीवन कैसा होगा ?”
क्रमशः
प्रस्तुति – डॉ. प्रकाश काछवाल
||हरिः शरणम्||

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