Sunday, December 2, 2018

सनातन धर्म-हिंदी/अंग्रेजी भाषा-8

सनातन धर्म-हिंदी/अंग्रेजी भाषा -8
अष्टम बिंदु-
Please avoid using the words "spirituality" and "materialistic". For a Hindu, everything is divine. The words spirituality and materialism came to India through evangelists and Europeans who had a concept of Church vs State. Or Science vs Religion. On the contrary, in India, Sages were scientists and the foundation stone of Sanatan Dharma was Science.
Spirituality का हिंदी शब्दार्थ है, आध्यात्मिकता और materialistic का अर्थ है, भौतिकता।अध्यात्म स्वयं को जानना है।जब व्यक्ति स्वयं को जान जाता है तब भौतिकता का कोई अर्थ नहीं रह जाता।व्यक्ति का आत्म ज्ञान उसे परमात्मा तक ले जाता है। सम्पूर्ण ज्ञान को प्राप्त हो जाने पर सभी व्यक्ति, वस्तुओं में परमात्मा का होना दिखने लगता है।इसलिए प्रत्येक स्थान दिव्य होता है।जहां दिव्यता दिखलाई देने लगती हैं वहां आध्यात्मिकता और भौतिकता गौण हो जाती है।
         ईसाई धर्म प्रचारकों और आधुनिक विज्ञान ने ये शब्द गढ़ें हैं और अज्ञान के कारण हमने इन अंग्रेज़ी शब्दों को पकड़ लिया है।दिव्यता का अनुभव होने पर ही हमें आभास होता है कि सब कुछ परमात्मा है,उसके अतिरिक्त कुछ है ही नहीं।
        सनातन धर्म और संस्कृति में हमारे पूर्वजों को ऋषि और मुनि कहा गया है। हमारे ऋषि उस काल के महान वैज्ञानिक थे और मुनि महान दार्शनिक।सुश्रुत, चरक,कणाद,वराहमिहिर,आर्यभट्ट आदि ऋषि थे जिन्होंने बहुत वैज्ञानिक शोध किये हैं और आधुनिक विज्ञान को शोध के लिए आधार प्रदान किया है।कपिल, अगस्त्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि मुनि कहलाये,जिन्होंने अपनी दार्शनिकता से संसार को प्रभावित किया है।
      हमारी सनातन संस्कृति सदैव ही महान रही है।पिछले दो हज़ार वर्षों से इसको हीन कहने का दुष्प्रचार किया जा रहा है।इस का तोड़ एक मात्र यही है कि हम अपना साहित्य पढ़ें और जानें कि हम क्या थे ? आर्यभट्ट और रामानुजम जैसे गणितज्ञ आज तक संसार में पैदा नहीं हुए हैं।एक बार अगर वराहमिहिर और कणाद को पढ़ लिया तो न्यूटन और आइंस्टीन की वास्तविकता को जान जाएंगे अन्यथा हम भविष्य में भी महान वैज्ञानिकों के रूप में न्यूटन और आइंस्टीन  के ही गुण गाते रहेंगे । हमारी संस्कृति की दिव्यता इसी बात से सिद्ध हो जाती है कि श्री मद्भागवत महापुराण, जो वेद व्यास द्वारा आज से लगभग 5000वर्ष पूर्व लिखी गयी थी, में आज के चिकित्सा विज्ञान द्वारा सिद्ध की गई बातें वर्णित है।दिव्यता का विषय बहुत लंबा विषय है, इस पर फिर कभी बात करेंगे।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

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