सनातन धर्म -हिंदी/अंग्रेजी भाषा-10-समापन
दसवां बिंदू -
Please don't use loose translation like meditation for "dhyana" and 'breathing exercise' for "Pranayama". It conveys wrong meanings. Use the original words
Meditation शब्द जबसे इस देश मे आया है, हम सब ने 'ध्यान' पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दिया है।जब से 'योग' yoga बनकर आया है, हम सब yoga करने लगे हैं। इसी प्रकार जब से breathing exercise की सलाह चिकित्सक देने लगे हैं, हमने 'प्राणायाम' करना प्रारम्भ कर दिया है।महर्षि पतंजलि ने हजारों वर्ष पहले 'योग' की अवधारणा दी थी।इसको 'अष्टांग योग'कहा जाता है।ध्यान और प्राणायाम इन आठ अंगों में केवल मात्र दो अंग हैं।इन दो अंगों के अंग्रेज़ी रूपांतरण ने इनके मूल ध्येय को भूल दिया गया है।meditation को आज केवल दिखावे की एक वस्तु बना दिया गया है जबकि ध्यान बहुत ही उच्च स्तर की बात है। Meditation करके भले ही आप अपने आपको गौरवान्वित महसूस करें परंतु मन की शांति जो ध्यान से मिलती है, वह meditation से नहीं।
यही स्थिति प्राणायाम की है। Breathing exercise, आपकी सांस लेने की क्षमता बढ़ा सकती है परंतु सांसों पर नियंत्रण प्राणायाम करने से ही स्थापित होगा। आधुनिक विज्ञान के अनुसार सांस केवल रक्त में ऑक्सिजन देने का और कार्बन डाई ऑक्साइड को शरीर से बाहर निकलने का कार्य करती है। पतंजलि कहते हैं कि सांस से संचालित होने वाले प्राण भी एक नहीं, पांच है जबकि आधुनिक विज्ञान केवल रक्त के ऑक्सिकरण की बात तक सीमित है।प्राणायाम को Breathing exercise बोलने से प्राणायाम के क्षेत्र को सीमित कर दिया जाता है।इसी प्रकार ध्यान को meditation कहने से उससे मिलने वाले लाभ को कमजोर कर दिया जाता है।अतः हमें अष्टांग योग के इन दो महत्वपूर्ण अंगों को इनके मूल नाम ध्यान और प्राणायाम से ही पुकारना चाहिए।आधुनिकता और अंग्रेजियत के प्रभाव में आकर हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को क्षति नहीं पहुँचाना चाहिए और केवल मूल शब्दों का ही उपयोग करना चाहिए।
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
दसवां बिंदू -
Please don't use loose translation like meditation for "dhyana" and 'breathing exercise' for "Pranayama". It conveys wrong meanings. Use the original words
Meditation शब्द जबसे इस देश मे आया है, हम सब ने 'ध्यान' पर ध्यान देना प्रारम्भ कर दिया है।जब से 'योग' yoga बनकर आया है, हम सब yoga करने लगे हैं। इसी प्रकार जब से breathing exercise की सलाह चिकित्सक देने लगे हैं, हमने 'प्राणायाम' करना प्रारम्भ कर दिया है।महर्षि पतंजलि ने हजारों वर्ष पहले 'योग' की अवधारणा दी थी।इसको 'अष्टांग योग'कहा जाता है।ध्यान और प्राणायाम इन आठ अंगों में केवल मात्र दो अंग हैं।इन दो अंगों के अंग्रेज़ी रूपांतरण ने इनके मूल ध्येय को भूल दिया गया है।meditation को आज केवल दिखावे की एक वस्तु बना दिया गया है जबकि ध्यान बहुत ही उच्च स्तर की बात है। Meditation करके भले ही आप अपने आपको गौरवान्वित महसूस करें परंतु मन की शांति जो ध्यान से मिलती है, वह meditation से नहीं।
यही स्थिति प्राणायाम की है। Breathing exercise, आपकी सांस लेने की क्षमता बढ़ा सकती है परंतु सांसों पर नियंत्रण प्राणायाम करने से ही स्थापित होगा। आधुनिक विज्ञान के अनुसार सांस केवल रक्त में ऑक्सिजन देने का और कार्बन डाई ऑक्साइड को शरीर से बाहर निकलने का कार्य करती है। पतंजलि कहते हैं कि सांस से संचालित होने वाले प्राण भी एक नहीं, पांच है जबकि आधुनिक विज्ञान केवल रक्त के ऑक्सिकरण की बात तक सीमित है।प्राणायाम को Breathing exercise बोलने से प्राणायाम के क्षेत्र को सीमित कर दिया जाता है।इसी प्रकार ध्यान को meditation कहने से उससे मिलने वाले लाभ को कमजोर कर दिया जाता है।अतः हमें अष्टांग योग के इन दो महत्वपूर्ण अंगों को इनके मूल नाम ध्यान और प्राणायाम से ही पुकारना चाहिए।आधुनिकता और अंग्रेजियत के प्रभाव में आकर हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर को क्षति नहीं पहुँचाना चाहिए और केवल मूल शब्दों का ही उपयोग करना चाहिए।
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
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