सनातन धर्म- हिंदी/अंग्रेजी भाषा -7
सप्तम बिंदु-
Please don't wish your children "black birthday" by allowing them to blow off the candles that are kept on top of the birthday cake. Don't throw spit on the divine fire (Agni Deva). Instead, ask them to pray: "Oh divine fire, lead me from darkness to light" (Thamasoma Jyotirgamaya) by lighting a lamp. These are all strong images that go deep into the psyche.
मनुष्य जन्म के साथ ही मृत्यु की ओर जाने की यात्रा प्रारम्भ कर देता है। इस मनुष्य के रूप में जीवन के कितने दिन शेष रहे हैं, कोई नहीं जानता।मनुष्य जीवन मिला ही आत्म बोध के लिए, अज्ञान में जीने के लिए नहीं।पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हमारे ऊपर भी पड़ा है।हमारे यहां जन्म दिन के उत्सव पर न तो केक काटने की प्रथा कभी रही है और न ही मोमबत्ती बुझाने की। आधुनिकीकरण के प्रभाव ने जन्मोत्सव और जन्म दिन मनाने की प्रथा ने विकृत रूप धारण कर लिया है।
सही मायने में जन्म दिन इस प्रकार मनाया जाना चाहिए जिससे व्यक्ति उस दिन शांति से बैठकर अपने बीते हुए वर्षों का विश्लेषण करें और नए वर्ष में प्रवेश कर आगे की योजना पर विचार करे।
हम अपने पूर्व मानव जीवन में अज्ञान में जी रहे थे, तभी तो हमारा पुनर्जन्म हुआ है। पुनर्जन्म इसलिए हुआ है कि हम अज्ञान को छोड़कर ज्ञान की ओर जाएं।ज्ञान प्राप्त करने का अर्थ है, हम आत्म बोध को उपलब्ध हो।आत्म बोध को उपलब्ध होने का अर्थ है,स्वयं को प्रकाशित करना। हमारी संस्कृति में जन्म दिन दीप जलाकर मनाया जाता है, न कि दीप बुझाकर। दीप प्रज्वलित करने का अर्थ है, परमात्मा हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को हर कर इस मनुष्य जीवन को ज्ञान से प्रकाशित कर दे।'तमसो मा ज्योतिर्गमय' कहने का अर्थ यही है।अग्नि को हम देवता मानते हैं और जन्म दिन के दिन दीप प्रज्वलित कर उनसे हम अपने जीवन से अज्ञान को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण करने की कामना करते हैं।अतः जीवन मे जन्म दिन दीप प्रज्वलित कर मनाएं न कि उन्हें बुझाकर।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
सप्तम बिंदु-
Please don't wish your children "black birthday" by allowing them to blow off the candles that are kept on top of the birthday cake. Don't throw spit on the divine fire (Agni Deva). Instead, ask them to pray: "Oh divine fire, lead me from darkness to light" (Thamasoma Jyotirgamaya) by lighting a lamp. These are all strong images that go deep into the psyche.
मनुष्य जन्म के साथ ही मृत्यु की ओर जाने की यात्रा प्रारम्भ कर देता है। इस मनुष्य के रूप में जीवन के कितने दिन शेष रहे हैं, कोई नहीं जानता।मनुष्य जीवन मिला ही आत्म बोध के लिए, अज्ञान में जीने के लिए नहीं।पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हमारे ऊपर भी पड़ा है।हमारे यहां जन्म दिन के उत्सव पर न तो केक काटने की प्रथा कभी रही है और न ही मोमबत्ती बुझाने की। आधुनिकीकरण के प्रभाव ने जन्मोत्सव और जन्म दिन मनाने की प्रथा ने विकृत रूप धारण कर लिया है।
सही मायने में जन्म दिन इस प्रकार मनाया जाना चाहिए जिससे व्यक्ति उस दिन शांति से बैठकर अपने बीते हुए वर्षों का विश्लेषण करें और नए वर्ष में प्रवेश कर आगे की योजना पर विचार करे।
हम अपने पूर्व मानव जीवन में अज्ञान में जी रहे थे, तभी तो हमारा पुनर्जन्म हुआ है। पुनर्जन्म इसलिए हुआ है कि हम अज्ञान को छोड़कर ज्ञान की ओर जाएं।ज्ञान प्राप्त करने का अर्थ है, हम आत्म बोध को उपलब्ध हो।आत्म बोध को उपलब्ध होने का अर्थ है,स्वयं को प्रकाशित करना। हमारी संस्कृति में जन्म दिन दीप जलाकर मनाया जाता है, न कि दीप बुझाकर। दीप प्रज्वलित करने का अर्थ है, परमात्मा हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को हर कर इस मनुष्य जीवन को ज्ञान से प्रकाशित कर दे।'तमसो मा ज्योतिर्गमय' कहने का अर्थ यही है।अग्नि को हम देवता मानते हैं और जन्म दिन के दिन दीप प्रज्वलित कर उनसे हम अपने जीवन से अज्ञान को दूर कर ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण करने की कामना करते हैं।अतः जीवन मे जन्म दिन दीप प्रज्वलित कर मनाएं न कि उन्हें बुझाकर।
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।
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