गुण-कर्म विज्ञान –
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यह भौतिक शरीर भी प्रकृति में उपस्थित
अन्य पदार्थों की तरह ही एक पदार्थ मात्र है | उसमें उपस्थित चेतन तत्व ही उसको
अचेतन से अलग करता है | यह चेतन तत्व आखिर है क्या और कहाँ से आता है ? आइये, जरा इस
बात थोडा ध्यान केन्द्रित करें | प्रत्येक पदार्थ में तीनों गुण उपस्थित अवश्य
रहते हैं परन्तु अचेतन में विद्युतीय गुण उदासीन अवस्था में रहता है जबकि चेतन में
यही गुण सक्रिय रहकर भौतिक और रासायनिक गुणों के साथ सहयोग करते हुए विभिन्न
क्रियाओं को संपन्न कराने में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है | शरीर के गुण और कर्म
विभाग से कर्म संपादन एक प्राकृतिक और स्वयं स्फूर्त प्रक्रिया है, जिसको करने के
लिए किसी विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं होती | प्रकृति में उपस्थित सभी अचेतन
पदार्थों में भी भौतिक और रासायनिक गुणों में क्रियाएं स्वयंमेव होती रहती है, जबकि चेतन पदार्थों में इन दोनों गुणों की
क्रियाओं के साथ विद्युतीय गुण की क्रिया भी सहयोग करती है | अचेतन में विद्युतीय
गुण की उपस्थिति तो रहते हैं परन्तु विद्युतीय गुण से किसी भी प्रकार की क्रिया
संपन्न कराने के लिए भी किसी अन्य के सहयोग की आवश्यकता होती है | चेतन पदार्थ में
विद्युतीय गुण के कारण होने वाली क्रियाएं ही महत्वपूर्ण हैं अन्यथा चेतन और अचेतन
में कोई अंतर नहीं है |
अचेतन भौतिक शरीर में विद्युतीय गुण सक्रिय
कैसे हो उठता है, इसका उत्तर आधुनिक विज्ञान के पास नहीं है | वैज्ञानिक प्रयासरत
है यह जानने के लिए कि कौन सा ऐसा तत्व है जो इस शरीर के भीतर प्रवेश करता है और
जिसके प्रवेश करते ही यह अचेतन शरीर चेतन अवस्था को प्राप्त कर लेता है ? वही तत्व
जब शरीर को त्याग देता है तब यह शरीर पुनः अचेतन अवस्था को प्राप्त हो जाता है |
वैज्ञानिकों को कई वर्ष जानने में लग जायेंगे इसे, और हो सकता है कभी जान भी न पाए
| हमारे शास्त्रों ने इस तत्व को अविज्ञेय ऐसे ही नहीं कह दिया है |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ.
प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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