Monday, January 23, 2017

गुण-कर्म विज्ञान -19

गुण-कर्म विज्ञान – 19
          सनातन धर्म-शास्त्रों के अनुसार भी प्रकृति के तीन गुण इस भौतिक शरीर में विद्यमान रहते हैं | इन तीन गुणों को सत्व(Good), रज (Medium) और तम (Bad) गुण कहा जाता है | विज्ञान के अनुसार जिस प्रकार प्रत्येक पदार्थ में भौतिक, रासायनिक और विद्युतीय गुण उपस्थित रहते हैं, ठीक उसी प्रकार गीता भी कहती है कि प्रत्येक शरीर में सत्व, रज और तम गुण उपस्थित रहते हैं | विज्ञान के कथन के अनुसार प्रत्येक पदार्थ में तीनों गुणों का अनुपात भिन्न-भिन्न होता है | गीता के अनुसार भी प्रत्येक शरीर में इन तीन गुणों का अनुपात (Ratio) भिन्न-भिन्न होता है |
            सत्व गुण पदार्थ के विद्युतीय गुण के अनुरूप होते हैं, तमोगुण रासायनिक गुण के अनुरूप होते हैं और रजोगुण भौतिक गुण के अनुरूप होते हैं | विद्युतीय गुण मस्तिष्क (Brain) और बुद्धि (Intelligence) से सम्बंधित होते हैं, अतः सत्व गुण इस श्रेणी में रखे जा सकते हैं | रासायनिक गुण आलस्य (Laziness) और प्रमाद को पैदा करने और अनुचित मानसिकता (Mentality)  रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं अतः तमोगुण को इस श्रेणी में रखा जा सकता है | भौतिक गुण विशेषकर कामना (Desire) और इन्द्रियों से सम्बंधित होते हैं, जिससे वे कर्मेन्द्रियों से कर्म करवाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं अतः रजोगुण को इस श्रेणी में रखा जा सकता है |
              वस्तुतः देखा जाये तो सभी गुण एक दूसरे के साथ संयोग करते हुए ही कर्म  करवाते हैं | किसी एक गुण की भूमिका कहीं पर अधिक रहती है और कहीं पर किसी अन्य गुण की | कर्मेन्द्रियों से कर्म करवाने में प्रधानता रजोगुण की होती है परन्तु साथ में तमोगुण व सत्व गुण की भूमिका भी रहती है | केवल अपने शरीर के लिए भोग प्राप्त करवाना, केवल अपना ही स्वार्थ देखना, दूसरे को परेशान करने में आनंद का अनुभव करना तथा साथ ही साथ आलसी व प्रमादी होना आदि में प्रधानता तमोगुण की होती है परन्तु साथ में सत्व व राजसिक गुण भी अल्प भूमिका निभाते हैं | इसी प्रकार दान, धर्म और परमार्थ आदि कर्मों में मुख्य भूमिका सत्व गुण की होती है परन्तु साथ में रज व तम गुण भी सहयोग करते हैं | इस प्रकार गुणों का आपस में सहयोग करना कर्म-विभाग के अंतर्गत आता है | गुणों का आपस में सहयोग करते हुए क्रियायें कैसे संभव होती है, इसको जानने के लिए हमें शरीर के कर्म-विभाग में जाना पड़ेगा | तो आइये ! इस रहस्य को जानने के लिए हमारे भौतिक शरीर के कर्म-विभाग (Department of acts) में प्रवेश करते हैं |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल

|| हरिः शरणम् ||

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