Thursday, January 12, 2017

गुण-कर्म विज्ञान - 12

गुण-कर्म विज्ञान -12
      इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि प्रत्येक पदार्थ में यही न्यूट्रोन ईश्वरीय कण (God particle) है | इसीलिए कहा जाता है कि कण-कण में भगवान हैं | यह परमाणु को बिखरने से बचाता है | न्यूट्रोन में किसी प्रकार का आवेश नहीं होता | परमाणु की विखंडन प्रक्रिया में प्रोटोन को तोड़ने पर अतिशय ऊर्जा निकलती है | उस ऊर्जा का या तो सदुपयोग कर लिया जाता है अथवा दुरुपयोग किया जा सकता है | प्रोटोन और इलेक्ट्रोन का विखंडन तो मात्र न्यूट्रोन को केंद्र अर्थात नाभिक से अलग कर के किया जा सकता है परन्तु न्यूट्रोन का विखंडन लगभग असंभव है | यद्यपि कहा जा रहा है कि न्यूट्रोन बम भी बना लिया गया है | अगर यह सत्य है अथवा सत्य होने के निकट है तो पक्का मान लीजिये कि जिस दिन न्यूट्रोन का विखंडन संभव हो जायेगा, यह सृष्टि भी समाप्ति के निकट पहुँच जाएगी |  
           इतने विवेचन के बाद सृष्टि-चक्र के निर्माण का जो चित्र हमारे मस्तिष्क में बनेगा, वह इस प्रकार का होगा |
                   परम शक्ति (परमात्मा, Supreme Power)     
                     ऊर्जा (शक्ति,Energy)      
                      परमाणु(Atom)                   
                       अणु (Molecule)
                          तत्व (Element)           
                      पदार्थ (Matter)  )    
                              गुण (Properties)  
                                 कर्म (act)
                 परम-शक्ति से कर्म तक की बनने वाली यही श्रृंखला सृष्टि-चक्र को गतिमान बनाये हुए है | कर्म पर आकर यह श्रृंखला समाप्त होती है और पुनः कर्मों के आधार पर पदार्थ से नया शरीर बनकर नए कर्मों तक का सफ़र पूरा करता है | तुलसी बाबा ने मानस में कहा भी है –‘कर्म प्रधान बिस्व करि राखा’ अर्थात इस संसार को चलायमान बनाये रखने में कर्म ही मुख्य भूमिका निभा रहे हैं |  
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल

|| हरिः शरणम् ||

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