गुण-कर्म विज्ञान –
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मानव मस्तिष्क के प्राकृतिक गुणों
में तीनों गुणों की भूमिका रहती है परन्तु उसकी सक्रियता विद्युतीय गुणों के कारण
ही संभव होती है | स्मृति का अंकन भी इन्हीं विद्युत संकेत और गुण के रूप में होता
है | स्मृति दो प्रकार की होती है- अल्पकालीन स्मृति (short term memory) और दीर्घ कालीन स्मृति (Long term memory) | दीर्घ कालीन स्मृति (LTM) की पुनर्जन्म में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती
है और अल्प कालीन स्मृति (STM) की
भूमिका वर्तमान जीवन में नए-नए कर्मों को सम्पादित करने में |
इस प्रकार हमने मस्तिष्क के
तीनों गुणों और उनमें होने वाले परिवर्तन का संक्षिप्त रूप से विवेचन किया | यह
विवेचन बहुत ही साधारण शब्दों में एक साधारण बौद्धिक क्षमता वाले व्यक्ति की समझ
के अनुसार किया गया है, जिससे वह कर्म और विज्ञान में आपस के सम्बन्ध को सरलता से
आत्मसात कर सके | शरीर विज्ञान में इस विषय का विस्तृत विवरण उपलब्ध है तथा
सम्बंधित पुस्तक पढ़कर आप और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
गुणों का
स्थानान्तरण (Transfer
of properties) -
गुण से कर्म और कर्म से गुण, इस
प्रकार यह निरंतर चलती रहने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है | विज्ञान, एक भौतिक
पदार्थ की दूसरे भौतिक पदार्थ की तुलना करते हुए उनके गुणों में परिवर्तन करने के
प्रयास में है | इसी आधार पर वह लोहे के विद्युत गुणों को परिवर्तित कर उसे स्वर्ण अथवा अन्य धातु में परिवर्तित
करने का प्रयास कर रहा है | हमारे शास्त्रों में पारस पत्थर का वर्णन आता है,
जिसको किसी भी धातु से मात्र छू देने से वह स्वर्ण में बदल जाती है | यह कितना
सत्य है, कह नहीं सकता परन्तु विज्ञान ने ऐसा पत्थर कभी खोज लिया तो वह पारस ही
होगा | किसी एक धातु के रासायनिक गुणों को परिवर्तित कर बहुमूल्य धातुओं के
निर्माण करने का वर्णन भी हमारे प्राचीन शास्त्रों में उपलब्ध है परन्तु उन
विधियों को प्रयोग में लाने का प्रयास शायद ही किसी ने किया होगा |
क्रमशः
प्रस्तुति – डॉ.
प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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