Tuesday, July 2, 2013

पुनर्जन्म-अवधारणा या वास्तविकता| क्रमश: भाग-५

क्रमश:
         जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवम् जन्म मृतस्य च |   ||गीता२/२७||
अर्थात् जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे हुये का जन्म निश्चित है|
          गीता में वर्णित इसी उक्ति को आधार बनाकर जगत जया की तलाश में इधर उधर भटकता  रहा|आखिर एकदिन उसे जया से मिलती जुलती एक लड़की अपने शहर के पास के शहर  भादरा में दिखाई दी| उसने गोपनीयता रखते हुये उस लड़की के बारे में तमाम जानकारी जुटानी शुरू की|जब उस लड़की जिसका नाम सरिता है,के बारे में जानकारियां सामने आयी तो जगत दंग रह गया|उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे साक्षात् वह जया ही हो|लेकिन ऐसी स्थिति में उससे मिलकर बात करना उस वक्त में सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं था|जगत नोहर में अपना अस्पताल चला रहा था और भादरा उससे ज्यादा दूर भी नहीं था|
      कई दिनों तक और कोई नयी जानकारी उसे मिल नहीं पाई|इस दौरान सरिता के परिवार से उसने मेलजोल बाधा भी लिया था|१९९९ के अंत में स्नातक करने के बाद घरवालों ने सरिता की शादी जयपुर कर दी गई|वह ससुराल चली गई और जगत कशमकश में आगे कुछ नहीं कर पाया|
         २०१२ की एक सुबह फेसबूक पर सरिता से उसका सामना हुआ|यह सरिता से उसकी पहली मुलाकात थी|दोनों दोस्त बन गए|सूचनाये मिलाती गयी,दोस्ती बढती गयी और आखिर एक दिन.......जगत ने अपने दिल की सभी बातें उसे बता दी|सरिता हतप्रभ रह गयी| बार बार फेसबुक पर जगत उसे लगभग ४० साल पुरानी बातें याद दिलाता रहा और धीरे धीरे सरिता को लगने लगा कि आज जिस स्थिति का सामना उसको करना पड़ रहा है उसका कोई ना कोई पूर्वजन्म से जरूर सम्बन्ध है|आज २०१३ में. सरिता की मजबूरी देखिये,वह दोहरी जिंदगी जीने को मजबूर है|आज वह अपने पति से संतुष्ट है|दो प्यारे प्यारे बच्चों की माँ है|आज वह अपने पूर्वजन्म के प्यार जगत से भी सम्बन्ध रखना चाहती है और पारिवारिक जीवन को भी बचाए रखना चाहती है|पुनर्जन्म की यादें बनी रह जाना या उनका फिर से प्रकट हो जाना एक व्यक्ति के सामने कैसी परिस्थिति पैदा कर देता है,सरिता आज इसका जीता जागता उदहारण है|उसकी इससे बड़ी और क्या विडम्बना हो सकती है?
              आज मेरे सामने यह उदहारण स्पष्ट करता है कि ईश्वर क्यों किसी को पूर्वजन्म की यादे अगले जन्म में साथ नहीं ले जाने देता|पुनर्जन्म का यह एक ऐसा केस है जिसमे एक व्यक्ति दूसरे के दो जन्मों का साक्षी है|जगत और सरिता आज भी दुविधाग्रस्त है|इस दुविधा का समाधान भी शायद ईश्वर के सिवाय किसी के पास होगा भी नहीं|
      उपरोक्त दोनों उदाहरण पुनर्जन्म की बात को सही समझने का आधार देंगे|यह उदाहरण पुनर्जन्म की अवधारणा को मान्यता प्रदान करते है|
                                        

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