गुरु के सूत्र –
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सूत्र का दूसरा अर्थ है,
फार्मूला | गुरु हमें परमात्मा को प्राप्त करने के कुछ सूत्र देता है | उन सूत्रों
से हम परमात्मा की पहेली को हल कर सकते हैं | प्रत्येक पहेली के लिए जैसे गणित में
सूत्र होते हैं, उसी प्रकार परमात्मा तक पहुँचने के लिए भी सूत्र होते हैं | गुरु
हमें वे सूत्र समय-समय पर हमारी प्रगति देखते हुए बताता रहता है | उन सूत्रों से
हम गोविन्द को पा सकते हैं | इन सूत्रों की परिभाषा वायुपुराण में बताई गई है | इस
सूत्र के बारे में वायु-पुराण में लिखा है -
अल्पाक्षरं
असंदिग्धं सारवत् विश्वतोमुखम् |
अस्तोभं अनवद्यं
च सूत्रं सूत्र विदो विदुः ||
अर्थात कम
अक्षरों वाला, संदेह रहित, सार स्वरुप, निरंतरता लिए हुए, त्रुटिहीन कथन को
सूत्रविद सूत्र कहते हैं | वायुपुराण के अनुसार सूत्र संक्षिप्त, सारगर्भित, किसी
भी प्रकार के संदेह से रहित और सम्पूर्ण रूप से सत्य होना चाहिए | साथ ही साथ सूत्र
में निरंतरता का अभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि जिस बात में निरंतरता नहीं होती,
उससे व्यक्ति का मन उचट जाता है और वह उस ओर ध्यान नहीं दे पाता है | वैसे
वायुपुराण में सूत्र शब्द की बहुत लम्बी व्याख्या की गयी है और विभिन्न प्रकार के
सूत्र बताये गए हैं | परन्तु इस विषय “गुरु के सूत्र” को समझने के लिए और सूत्र को सम्पूर्ण
रूप से जानने के लिए अधिक गहराई में जाने की आवश्यकता नहीं है | इस दूसरे प्रकार
के सूत्र के उदाहरण हैं, ब्रह्म-सूत्र, काम-सूत्र, पतंजलि योग-सूत्र आदि |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ.
प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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