यक्ष ने प्रश्न किया -मनुष्य का साथ कौन देता है?
युधिष्ठिर -धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है ।
यक्ष-यश लाभ का एकमात्र उपाय क्या है ?
युधिष्ठिर-दान ।
यक्ष-हवा से तेज कौन चलता है ?
युधिष्ठिर- मन ।
यक्ष- विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है ?
युधिष्ठिर- विद्या ।
यक्ष - किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता है ?
युधिष्ठिर - अहंकार और गर्व को ।
यक्ष - किस चीज के खो जाने पर दुःख नहीं होता ?
युधिष्ठिर - क्रोध को ।
यक्ष - किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी हो जाता है ?
युधिष्ठिर - लोभ को ।
यक्ष - ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है ? जन्म,कर्म,विद्या या शीतल स्वभाव पर ?
युधिष्ठिर - शीतल स्वभाव पर ।
यक्ष - कौन सा एकमात्र उपाय है ,जिससे जीवन सुखी हो जाता है ?
युधिष्ठिर - अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का एकमात्र उपाय है ।
यक्ष - सर्वोत्तम लाभ क्या है ?
युधिष्ठिर - आरोग्य ।
यक्ष - धर्म से बढ़कर संसार में क्या है ?
युधिष्ठिर - दया ।
यक्ष - कैसे व्यक्ति के साथ की गई मित्रता पुरानी नहीं पड़ती ?
युधिष्ठिर - सज्जनों के साथ ।
यक्ष - इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
युधिष्ठिर - प्रतिदिन लाखों लोग मरते हैं ,फिर भी सभी को अनंत काल तक जीते रहने की ईच्छा होती है ;इससे बड़ा आश्चर्य और कोई हो ही नहीं सकता ।
॥ हरिः शरणम् ॥
युधिष्ठिर -धैर्य ही मनुष्य का साथ देता है ।
यक्ष-यश लाभ का एकमात्र उपाय क्या है ?
युधिष्ठिर-दान ।
यक्ष-हवा से तेज कौन चलता है ?
युधिष्ठिर- मन ।
यक्ष- विदेश जाने वाले का साथी कौन होता है ?
युधिष्ठिर- विद्या ।
यक्ष - किसे त्याग कर मनुष्य प्रिय हो जाता है ?
युधिष्ठिर - अहंकार और गर्व को ।
यक्ष - किस चीज के खो जाने पर दुःख नहीं होता ?
युधिष्ठिर - क्रोध को ।
यक्ष - किस चीज को गंवाकर मनुष्य धनी हो जाता है ?
युधिष्ठिर - लोभ को ।
यक्ष - ब्राह्मण होना किस बात पर निर्भर है ? जन्म,कर्म,विद्या या शीतल स्वभाव पर ?
युधिष्ठिर - शीतल स्वभाव पर ।
यक्ष - कौन सा एकमात्र उपाय है ,जिससे जीवन सुखी हो जाता है ?
युधिष्ठिर - अच्छा स्वभाव ही सुखी होने का एकमात्र उपाय है ।
यक्ष - सर्वोत्तम लाभ क्या है ?
युधिष्ठिर - आरोग्य ।
यक्ष - धर्म से बढ़कर संसार में क्या है ?
युधिष्ठिर - दया ।
यक्ष - कैसे व्यक्ति के साथ की गई मित्रता पुरानी नहीं पड़ती ?
युधिष्ठिर - सज्जनों के साथ ।
यक्ष - इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ?
युधिष्ठिर - प्रतिदिन लाखों लोग मरते हैं ,फिर भी सभी को अनंत काल तक जीते रहने की ईच्छा होती है ;इससे बड़ा आश्चर्य और कोई हो ही नहीं सकता ।
॥ हरिः शरणम् ॥
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