बीता हुआ कल कभी भी लौटकर नहीं आता फिर भी न जाने क्यों लोग उसकी चर्चा करते रहते हैं ? मै जानता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति सवेरे उठते ही सबसे पहले बीते हुए कल को ही याद करता है और इसके तुरंत बाद वह आने वाले कल के बारे में सोचने लगता है । जबकि इस सृष्टि में सिर्फ "आज"का महत्त्व है ,किसी भी "कल" का नहीं । बीता हुआ कल या तो स्वर्णिम रहा होगा या निराशाजनक । स्वर्णिम भी रहा होगा तो आज उसकी क्या उपयोगिता है ? आज़ादी से पूर्व कई राजा-महाराजा रहे होंगे परन्तु आज वे सब साधारण नागरिक है । फिर भी वे सब अपने आपको "घणी खम्मा"और ठाकुर साहेब कहलाना पसंद करते हैं । क्या कहलाने और कह देने मात्र से ही वो राजा या ठाकुर साहेब हो सकते हैं ? नहीं ना । फिर तो उस स्वर्णिम इतिहास की , बीते हुए कल की कीमत दो कौड़ी की ही नहीं हुई ।
उस बीते हुए कल में जीते रहना ही आपके संसार का निर्माण कर रहा है । "आज" कहाँ है आपके जीवन में ?आपके जीवन में तो केवल "कल" ही भरा हुआ है ।बीते हुए कल की मुश्किलों को याद करते हुए ही नहीं जीयें ,उस कल में मिले सुख को ही याद करते न रहे.। हाँ,बीते हुए कल की गलतियों से सीख लें परन्तु उन गलतियों को सदैव के लिए भूल जाएँ । अगर आपको मात्र गलतियाँ ही याद आती रहेगी तो फिर आप उन गलतियों को दोहरा भी सकते हैं । यह मानव का प्राकृतिक स्वभाव है । आप की गाड़ी जहाँ भी दुर्घटना ग्रस्त हुई है उस दुर्घटना को याद करते रहने से फिर आप दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं । परन्तु आप इस दुर्घटना का कारण ढूंढे कि किस गलती के कारण यह दुर्घटना हुई थी और भविष्य में उस गलती की पुनरावृति न हो, वहीँ तक इस बीते हुए कल की सार्थकता है । प्रायः आपने बड़े राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर कई जगहों पर विशाल बोर्ड लगे देखे होंगे-"दुर्घटना संभावित क्षेत्र"। ऐसे बोर्ड लगाने का कोई औचित्य नहीं है । बोर्ड लगाने के बावजूद भी दुर्घटनाएं अक्सर वहीँ पर होती है । बोर्ड लगे होने के बावजूद क्यों ? उसका कारण है मनुष्य का स्वभाव । वह अति सावधानी से गाड़ी चलाने लगता है और इस अतिरिक्त सावधानी में वह गलती कर बैठता है और दुर्घटना हो जाती है । जबकि प्रशासन को दुर्घटना के कारण जानकर उन कमियों में सुधार करना चाहिए न कि मात्र बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को मात्र बीते हुए कल की सूचना देकर उसे याद दिलाते रहें । यह बोर्ड पढ़कर ही चालक बीते हुए कल के आधार पर संभावित दुर्घटना का एक काल्पनिक संसार रच बैठता है और इसी काल्पनिक संसार में उलझ कर वह कोई गलती कर बैठता है जो कि दुर्घटना का कारण बनती है ।
ये उदाहरण तो मैंने सबकी जिंदगी से जुड़े हुए दिए हैं । अगर आप चाहे तो ऐसे सैंकड़ों उदाहरण अपनी निजी जिंदगी से भी ढूंढ सकते हैं जो आप के बीते हुए कल से आपके सपनों का संसार निर्मित कर रहे हैं । चाहे वह आपके बेटे का जन्म हो,बिटिया की विदाई हो,दोस्तों से हुआ झगड़ा हो,यात्रा के अनुभव हो -सभी आपके संसार का निर्माण कर रहे हैं । आप जरा बीते हुए कल को छोड़ दे,उसके बारे में बिलकुल ही सोचना बंद कर दें और फिर जरा ढूंढें कि आपका यह संसार कहाँ है ?
क्रमशः
॥ हरिः शरणम् ॥
उस बीते हुए कल में जीते रहना ही आपके संसार का निर्माण कर रहा है । "आज" कहाँ है आपके जीवन में ?आपके जीवन में तो केवल "कल" ही भरा हुआ है ।बीते हुए कल की मुश्किलों को याद करते हुए ही नहीं जीयें ,उस कल में मिले सुख को ही याद करते न रहे.। हाँ,बीते हुए कल की गलतियों से सीख लें परन्तु उन गलतियों को सदैव के लिए भूल जाएँ । अगर आपको मात्र गलतियाँ ही याद आती रहेगी तो फिर आप उन गलतियों को दोहरा भी सकते हैं । यह मानव का प्राकृतिक स्वभाव है । आप की गाड़ी जहाँ भी दुर्घटना ग्रस्त हुई है उस दुर्घटना को याद करते रहने से फिर आप दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं । परन्तु आप इस दुर्घटना का कारण ढूंढे कि किस गलती के कारण यह दुर्घटना हुई थी और भविष्य में उस गलती की पुनरावृति न हो, वहीँ तक इस बीते हुए कल की सार्थकता है । प्रायः आपने बड़े राष्ट्रीय उच्च मार्गों पर कई जगहों पर विशाल बोर्ड लगे देखे होंगे-"दुर्घटना संभावित क्षेत्र"। ऐसे बोर्ड लगाने का कोई औचित्य नहीं है । बोर्ड लगाने के बावजूद भी दुर्घटनाएं अक्सर वहीँ पर होती है । बोर्ड लगे होने के बावजूद क्यों ? उसका कारण है मनुष्य का स्वभाव । वह अति सावधानी से गाड़ी चलाने लगता है और इस अतिरिक्त सावधानी में वह गलती कर बैठता है और दुर्घटना हो जाती है । जबकि प्रशासन को दुर्घटना के कारण जानकर उन कमियों में सुधार करना चाहिए न कि मात्र बोर्ड लगाकर वाहन चालकों को मात्र बीते हुए कल की सूचना देकर उसे याद दिलाते रहें । यह बोर्ड पढ़कर ही चालक बीते हुए कल के आधार पर संभावित दुर्घटना का एक काल्पनिक संसार रच बैठता है और इसी काल्पनिक संसार में उलझ कर वह कोई गलती कर बैठता है जो कि दुर्घटना का कारण बनती है ।
ये उदाहरण तो मैंने सबकी जिंदगी से जुड़े हुए दिए हैं । अगर आप चाहे तो ऐसे सैंकड़ों उदाहरण अपनी निजी जिंदगी से भी ढूंढ सकते हैं जो आप के बीते हुए कल से आपके सपनों का संसार निर्मित कर रहे हैं । चाहे वह आपके बेटे का जन्म हो,बिटिया की विदाई हो,दोस्तों से हुआ झगड़ा हो,यात्रा के अनुभव हो -सभी आपके संसार का निर्माण कर रहे हैं । आप जरा बीते हुए कल को छोड़ दे,उसके बारे में बिलकुल ही सोचना बंद कर दें और फिर जरा ढूंढें कि आपका यह संसार कहाँ है ?
क्रमशः
॥ हरिः शरणम् ॥
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