कर्म -आप क्या सोचते हैं?
क्या कर्म का आशय "कारण और प्रभाव" से नहीं है?प्रत्येक कारण(cause ) एक निश्चित प्रभाव(effect )पैदा करता है|किसी परिस्थितिवश कोई कर्म किया जाता है तो वह फिर से कोई परिणाम देता है|अतः यह समझा जा सकता है की कर्म का आशय कारण और प्रभाव से ही है|क्या कारण और प्रभाव हमेशा स्थिर या निश्चित होतें है?क्या कभी प्रभाव किसी का कारण नहीं हो सकता?इसका अर्थ यह हुआ क़ि न तो कारण (cause )कभी निश्चित(fix ) हो सकता और न ही प्रभाव(effect) | आज(Today ) बीते हुए कल(yesterday) का परिणाम(result or effect ) है,और आज आने वाले कल(tomorrow)का कारण(cause) है|चाहे आप इसे मानसिक तौर से देखें चाहे गणितीय गणना से|इससे यह प्रमाणित हुआ क़ि'कारण'(cause)कभी भी' प्रभाव'(effect ) हो सकता है और' प्रभाव' कभी भी 'कारण' में परिवर्तित हो सकता है|यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है|अतः कारण और प्रभाव कभी भी निश्चित यानि शाश्वत नहीं हो सकते हैं|अगर ऐसा कभी किसी प्रजाति के लिए हो सकता है तो इसका मतलब एक ही होता है--उस प्रजाति का अंत | मानव प्रजाति की यही विशेषता है क़ि इसमें कारण और प्रभाव कभी भी निश्चित नहीं होते है वे तकनिकी तौर पर समान जरूर हो सकतें है परन्तु बनावट(structure )में भिन्न होंगे | अतः मानव प्रजाति कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो सकती क्योंकि उसमे समय समय पर अपने आप को बदलने क़ि सम्भावना है|जब तक हम कारण(cause) को महत्वपूर्ण मानते रहेंगें,अपनी पृष्ठभूमि का आदर करते रहेंगे,कारण से पैदा होने वाले प्रभाव से सम्बन्ध रखेंगें,तब तब स्वयं के विचारों(thoughts )और पृष्ठभूमि में टकराव (conflict ) पैदा होगा|अतः यह समस्या ज्यादा जटिल हो जाती है ,जब हम सोचते है की पुनर्जन्म को माने या न माने? अब प्रश्न यह नहीं है की पुनर्जन्म में विश्वास करें या कर्म में|प्रश्न है-कर्म कैसे करें? (How to act ?)
|| हरिः शरणम् ||
क्या कर्म का आशय "कारण और प्रभाव" से नहीं है?प्रत्येक कारण(cause ) एक निश्चित प्रभाव(effect )पैदा करता है|किसी परिस्थितिवश कोई कर्म किया जाता है तो वह फिर से कोई परिणाम देता है|अतः यह समझा जा सकता है की कर्म का आशय कारण और प्रभाव से ही है|क्या कारण और प्रभाव हमेशा स्थिर या निश्चित होतें है?क्या कभी प्रभाव किसी का कारण नहीं हो सकता?इसका अर्थ यह हुआ क़ि न तो कारण (cause )कभी निश्चित(fix ) हो सकता और न ही प्रभाव(effect) | आज(Today ) बीते हुए कल(yesterday) का परिणाम(result or effect ) है,और आज आने वाले कल(tomorrow)का कारण(cause) है|चाहे आप इसे मानसिक तौर से देखें चाहे गणितीय गणना से|इससे यह प्रमाणित हुआ क़ि'कारण'(cause)कभी भी' प्रभाव'(effect ) हो सकता है और' प्रभाव' कभी भी 'कारण' में परिवर्तित हो सकता है|यह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है|अतः कारण और प्रभाव कभी भी निश्चित यानि शाश्वत नहीं हो सकते हैं|अगर ऐसा कभी किसी प्रजाति के लिए हो सकता है तो इसका मतलब एक ही होता है--उस प्रजाति का अंत | मानव प्रजाति की यही विशेषता है क़ि इसमें कारण और प्रभाव कभी भी निश्चित नहीं होते है वे तकनिकी तौर पर समान जरूर हो सकतें है परन्तु बनावट(structure )में भिन्न होंगे | अतः मानव प्रजाति कभी भी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हो सकती क्योंकि उसमे समय समय पर अपने आप को बदलने क़ि सम्भावना है|जब तक हम कारण(cause) को महत्वपूर्ण मानते रहेंगें,अपनी पृष्ठभूमि का आदर करते रहेंगे,कारण से पैदा होने वाले प्रभाव से सम्बन्ध रखेंगें,तब तब स्वयं के विचारों(thoughts )और पृष्ठभूमि में टकराव (conflict ) पैदा होगा|अतः यह समस्या ज्यादा जटिल हो जाती है ,जब हम सोचते है की पुनर्जन्म को माने या न माने? अब प्रश्न यह नहीं है की पुनर्जन्म में विश्वास करें या कर्म में|प्रश्न है-कर्म कैसे करें? (How to act ?)
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