पुनर्जन्म के अध्ययन के दौरान हमने मानव में स्थित तीन गुणों की चर्चा की थी|इन तीनों गुणों से ही प्रत्येक व्यक्ति युक्त होता है |जिस व्यक्ति में जिस गुण की प्रधानता होती है ,वह व्यक्ति उसी प्रकृति का माना जाता है |आज हम संक्षेप में उन गुणों की प्रकृति जानेंगे |
सात्विक गुण --(जाग्रत अवस्था)--प्रकाशमान |सदैव सम स्थिति में रहना |भीतर ज्ञान होना |बाहर से बिलकुल शान्त |
राजसिक गुण --(स्वप्न अवस्था )--कर्मठता |सदैव कार्यरत रहना |सदैव सक्रिय रहना | सम्पूर्ण समय केवल भाग-दौड |बाहर और भीतर ,दोनों तरफ से अशांत |
तामसिक गुण -- (सुषुप्तावस्था )--आलस्य | प्रमाद |सदैव निद्रा में रहना |भीतर केवल अज्ञान |बाहर से बिलकुल शान्त,आलस्य धारण किये हुए |
सात्विक गुणों से युक्त व्यक्ति का उत्थान |राजसिक गुणों से युक्त व्यक्ति की मध्यम गति,अर्थात् उत्थान और पतन दोनों ही संभव |तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति का केवल पतन |
तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति बाहर से शान्त नज़र आने के कारण कभी कभी सतोगुणी होने का भ्रम पैदा करता है |तामसिक गुणी व्यक्ति भीतर से अज्ञानी रहता है जबकि सतोगुणी व्यक्ति ज्ञानरुपी प्रकाश से प्रकाशमान |
सभी जीव भूतों में ये गुण ही कर्ता हैं |इन गुणों से ऊपर उठकर जो व्यक्ति परमात्मा को देखता है ,वही व्यक्ति गुणातीत कहलाता है |वही व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त होता है |
|| हरिः शरणम् ||
सात्विक गुण --(जाग्रत अवस्था)--प्रकाशमान |सदैव सम स्थिति में रहना |भीतर ज्ञान होना |बाहर से बिलकुल शान्त |
राजसिक गुण --(स्वप्न अवस्था )--कर्मठता |सदैव कार्यरत रहना |सदैव सक्रिय रहना | सम्पूर्ण समय केवल भाग-दौड |बाहर और भीतर ,दोनों तरफ से अशांत |
तामसिक गुण -- (सुषुप्तावस्था )--आलस्य | प्रमाद |सदैव निद्रा में रहना |भीतर केवल अज्ञान |बाहर से बिलकुल शान्त,आलस्य धारण किये हुए |
सात्विक गुणों से युक्त व्यक्ति का उत्थान |राजसिक गुणों से युक्त व्यक्ति की मध्यम गति,अर्थात् उत्थान और पतन दोनों ही संभव |तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति का केवल पतन |
तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति बाहर से शान्त नज़र आने के कारण कभी कभी सतोगुणी होने का भ्रम पैदा करता है |तामसिक गुणी व्यक्ति भीतर से अज्ञानी रहता है जबकि सतोगुणी व्यक्ति ज्ञानरुपी प्रकाश से प्रकाशमान |
सभी जीव भूतों में ये गुण ही कर्ता हैं |इन गुणों से ऊपर उठकर जो व्यक्ति परमात्मा को देखता है ,वही व्यक्ति गुणातीत कहलाता है |वही व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त होता है |
|| हरिः शरणम् ||
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