क्रमश:१४
मुक्ति(Freedom from Reincarnation) के लिए मन(Mind) पर नियंत्रण(Control) बहुत ही आवश्यक है |इच्छाएं और कामनाएं(Desires) कभी भी बुरी नहीं होती है ,बल्कि उनके पीछे भागना,किसी भी हालत में उन्हें पूरी करना और इच्छा पूरी होने के बाद भी और अधिक की इच्छा करना बुरा है | एक इच्छा को पूरी करने के लिए आसक्त होकर कर्म करना उस इच्छा की स्मृति को बनाये रखता है |जिसके फलस्वरूप अल्प अवधि स्मृति(S.T.M.) ,दीर्घ अवधि स्मृति(L.T.M.) में बदलकर भावी जीवन(Next life) को प्रभावित करती है |अतः पुनर्जीवन से मुक्ति के लिए आवश्यक है कि स्मृति(Memory) के आधार पर जो विचार(Thoughts) मन में उत्पन्न हो ,वे शुद्ध और सात्विक हों
विचार(Thoughts) एक ऐसी प्रक्रिया है जो बिना स्मृति के संभव नहीं है |आज हमारे मन में जो भी विचार पैदा हो रहे हैं ,उनका सम्बन्ध किसी न किसी पूर्व स्मृति से जरूर है | मानव मस्तिष्क (Brain) और सुषुम्ना नाडी(Spinal cord) से जो सन्देश (Signals)प्रसारित (Send)और प्राप्त (Receive)किये जाते हैं ,इस कार्य में Neurons की भूमिका होती है |इन Neurons के कारण ही स्मृति बनती है और स्मृति से विचार |Neurons कभी भी बढ़ते नहीं है जैसे कि शरीर की अन्य कोशिकाएं बढती हैं|एक बार अगर कोई एक Neuron समाप्त (Dead)हो जाता है तो फिर उस स्थान पर नया Neuron नहीं बनेगा | Neurons को नुकसान पहुँचने पर व्यक्ति की स्मृति और विचार में भी परिवर्तन आ जाता है |यही स्थिति Synapses की होती है |
इसी लिए भारतीय मनीषियों ने ध्यान(Meditation) पद्धति में विचारों पर अंकुश लगाने(Control on thoughts) की प्रकिया पर ही बल दिया है |निर्विचार(Thoughtlessness) हो जाना ही ध्यान की अवस्था है |विचार आखिर हैं क्या?-केवल पूर्व में प्राप्त अनुभव (Experiences)और ज्ञान(Knowledge) जो स्मृतियों के रूप में मस्तिष्क में इक्कठ्ठा (Stored in brain)हो जाता है |विचारों के मस्तिष्क से अलग होते ही स्मृतियाँ (Memories)भी स्थाई नहीं रह पायेगी }ऐसी स्थिति आने पर Hippocampus और Hypothalamus में सभी क्रियाएँ नियंत्रण में रहेगी और कर्म भी | ऐसी स्थिति में यही स्मृतियाँ ,इच्छाओं और कामनाओं को बढ़ने से रोक देती है और उनको पूरा करने के लिए किये जा रहे कर्मों को भी |जिसके कारण मानव जीवन में अभूतपूर्व सुधार आना शुरू हो जायेगा |यही एकमात्र पुनर्जन्म से मुक्ति(Freedom from Reincarnation) की वैज्ञानिक प्रक्रिया है |
पुनर्जन्म से मुक्ति के लिए जो भी वैज्ञानिक प्रक्रिया है वह केवल ध्यान योग ही है,जबकि भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवतगीता में ध्यान के अतिरिक्त मुख्यरूप से दो अन्य पद्धतियाँ भी बतलाई है |वे है -कर्म-योग तथा ज्ञान योग |ध्यान,कर्म और ज्ञान योग के बारे में आध्यात्मिकता की दृष्टि से हम पूर्व में विस्तृत रूप से विचार कर चुके हैं |ध्यान योग में साधारण सी दिखाई देने वाली प्रक्रिया है परन्तु उसको साधना बड़ा ही कठिन है |जिस दिन व्यक्ति विचारों की दुनियां से निकलकर निर्विचार की स्थिति प्राप्त कर लेगा उसी दिन वह इस जीवन में ही मुक्त हो जायेगा,पुनर्जन्म का तो प्रश्न ही नहीं है |
क्रमश:
|| हरिः शरणम् ||
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