प्रारंभ में हमने तीन कारकों (Factors) की चर्चा की थी,जो प्रत्येक के जीवन को प्रभावित करते हैं |ये तीन करक हैं-समय(Time),स्थान (Space) और कारण(Cause) | समय के बारे में हम अल्प चर्चा कर चुके हैं ,अब थोडा सा स्थान के बारे में भी जान ले | स्थान केवल मात्र रिक्त जगह को ही नहीं कहते हैं |स्थान को अगर एक दार्शनिक के तरीके से देखा जाय तो उसका अर्थ अलग होता है |आपके घर में कोई मेहमान आता है और आप उसे बैठने के लिए स्थान ग्रहण करने को कहते हैं |परन्तु अगर आप यह सब औपचारिकतावश करते हैं और आपके ह्रदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है तो आप चाहे उसे सोने के सिंहासन पर बैठा दें,उसके लिए सब व्यर्थ है |
आपके ह्रदय में प्रत्येक प्राणिमात्र के लिए सम्मान होना चाहिए |प्रत्येक व्यक्ति की भावनाओं के लिए आपके ह्रदय में स्थान होना चाहिए | इसी स्थान की महत्ता है |यह स्थान प्रत्येक व्यक्ति के पास उपलब्ध नहीं होता |एक आध्यात्मिक व्यक्ति ही इस ऊंचाई तक पहुँच सकता है |उसी के ह्रदय में प्रत्येक के लिए स्थान होता है |ह्रदय की विशालता ही स्थान का प्रतिनिधित्व करती है |
प्रत्येक व्यक्ति के अपने अपने विचार होते है |उसको अपने विचार अभिव्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है |उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए |यह तभी संभव है जब उसे आप विचार अभिव्यक्त करने के लिए स्थान उपलब्ध कराएँ |आप चाहे उससे असहमत ही हों |यह स्थान उसके विचारों की अभिव्यक्ति के लिए आपके ह्रदय में होना चाहिए |
|| हरिः शरणम् ||
आपके ह्रदय में प्रत्येक प्राणिमात्र के लिए सम्मान होना चाहिए |प्रत्येक व्यक्ति की भावनाओं के लिए आपके ह्रदय में स्थान होना चाहिए | इसी स्थान की महत्ता है |यह स्थान प्रत्येक व्यक्ति के पास उपलब्ध नहीं होता |एक आध्यात्मिक व्यक्ति ही इस ऊंचाई तक पहुँच सकता है |उसी के ह्रदय में प्रत्येक के लिए स्थान होता है |ह्रदय की विशालता ही स्थान का प्रतिनिधित्व करती है |
प्रत्येक व्यक्ति के अपने अपने विचार होते है |उसको अपने विचार अभिव्यक्त करने का पूर्ण अधिकार है |उसे अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए |यह तभी संभव है जब उसे आप विचार अभिव्यक्त करने के लिए स्थान उपलब्ध कराएँ |आप चाहे उससे असहमत ही हों |यह स्थान उसके विचारों की अभिव्यक्ति के लिए आपके ह्रदय में होना चाहिए |
|| हरिः शरणम् ||
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