समय या काल दोनों एक दूसरे के पर्यायवाची हैं |समय एक ऐसी माप है जो दो अनुभवों के बीच के अंतर को स्पष्ट करता है |समय कितना तेजी से गुजरता है या कितनी धीमी गति से,यह व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है |समय मानव की बनाई हुई एक व्यवस्था है,इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं|समय से ऊपर निकल जाना ही सबसे बड़ी उपलब्धि होती है |आज जब हम इस पृथ्वी पर रहते हैं ,तब इस पृथ्वी के अपने अक्ष एक घूर्णन के पूरा करने को एक दिन या २४ घंटे कहा जा सकता है |इसी तरह जब पृथ्वी सूर्य के चारों और एक चक्कर सम्पूर्ण कर लेती है ,तब हम कहते हैं कि एक वर्ष पूरा हो गया |यह सब यहाँ रह रहे व्यक्तियों की दिनचर्या एवं कार्य प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने के लिए की गयी एक मानव व्यवस्था है |
अब आप कुछ समय के लिए एक कल्पना कीजिये |आप एक अंतरिक्ष यान में बैठ कर अंतरिक्ष का भ्रमण कर रहे हैं ,और अचानक पृथ्वी से आपका संपर्क कट जाता है |यान की विद्युत व्यवस्था भी समाप्त हो जाती है ,जिससे सारे उपकरण कार्य करना बंद कर देते हैं |केवल आपका यान एक उपग्रह की तरह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है |क्या आप ऐसी स्थिति में अनुमान लगा सकते हैं कि कितना समय बीत गया ?नहीं,बिलकुल भी नहीं|क्योंकि आपके लिए सूर्य कभी अस्त हुआ ही नहीं|अचानक एक दिन आपका पृथ्वी से संपर्क स्थापित हो जाता है और सब उपकरण और विद्युत व्यवस्था पूर्ववत कार्य करने लग जाती है |आप सबसे पहले संपर्ककर्ता से यही पूछेंगे कि आज कौन सा दिन है ?आप आश्चर्य करेंगे कि आपको पता भी नहीं चला कि कितना समय आपका बीत गया?
यहाँ इतना उल्लेख करने का एक मात्र कारण यही है कि समय एक सांसारिक माप है |और इस माप से परमात्मा को मापा नहीं जा सकता |क्योंकि परमात्मा कोई अनुभव नहीं है जिसे समय से मापा जा सके |इसी लिए परमात्मा को समयातीत या कालातीत कहा गया है |परमात्मा और आत्मा में कोई भेद नहीं है |लेकिन आत्मा मन और इन्द्रियों के विषयों का संग कर लेती है तब वह भी समय के बंधन में अपने आप को बांध कर जन्म-मृत्यु के चक्र में फंस जाती है | इसी कारण से शरीर दर शरीर उसे भटकना पड़ता है |यही पुनर्जन्म का सबसे बड़ा कारण है |इस लिए मुक्ति के लिए आत्मा को कालातीत होना ही होगा |अर्थात् समय के बंधन से मुक्त होना होगा |
|| हरिः शरणम् ||
अब आप कुछ समय के लिए एक कल्पना कीजिये |आप एक अंतरिक्ष यान में बैठ कर अंतरिक्ष का भ्रमण कर रहे हैं ,और अचानक पृथ्वी से आपका संपर्क कट जाता है |यान की विद्युत व्यवस्था भी समाप्त हो जाती है ,जिससे सारे उपकरण कार्य करना बंद कर देते हैं |केवल आपका यान एक उपग्रह की तरह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है |क्या आप ऐसी स्थिति में अनुमान लगा सकते हैं कि कितना समय बीत गया ?नहीं,बिलकुल भी नहीं|क्योंकि आपके लिए सूर्य कभी अस्त हुआ ही नहीं|अचानक एक दिन आपका पृथ्वी से संपर्क स्थापित हो जाता है और सब उपकरण और विद्युत व्यवस्था पूर्ववत कार्य करने लग जाती है |आप सबसे पहले संपर्ककर्ता से यही पूछेंगे कि आज कौन सा दिन है ?आप आश्चर्य करेंगे कि आपको पता भी नहीं चला कि कितना समय आपका बीत गया?
यहाँ इतना उल्लेख करने का एक मात्र कारण यही है कि समय एक सांसारिक माप है |और इस माप से परमात्मा को मापा नहीं जा सकता |क्योंकि परमात्मा कोई अनुभव नहीं है जिसे समय से मापा जा सके |इसी लिए परमात्मा को समयातीत या कालातीत कहा गया है |परमात्मा और आत्मा में कोई भेद नहीं है |लेकिन आत्मा मन और इन्द्रियों के विषयों का संग कर लेती है तब वह भी समय के बंधन में अपने आप को बांध कर जन्म-मृत्यु के चक्र में फंस जाती है | इसी कारण से शरीर दर शरीर उसे भटकना पड़ता है |यही पुनर्जन्म का सबसे बड़ा कारण है |इस लिए मुक्ति के लिए आत्मा को कालातीत होना ही होगा |अर्थात् समय के बंधन से मुक्त होना होगा |
|| हरिः शरणम् ||
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