महाभारतकाल में विषम परिस्थितियों में भी ज्ञान की गंगाएं बही थी|यह ज्ञान आज हमें तीन सनातन धर्म ग्रंथों के रूप में उपलब्ध है |ये तीन ग्रन्थ है-
१.भीष्म नीति |
२. विदुर नीति |
३. श्रीमद्भागवतगीता |
"भीष्म-नीति"ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है ,जो ज्ञान भीष्म पितामह द्वारा युद्धिष्ठिर को दिया गया था | युद्धिष्ठिर एक सतोगुणी व्यक्ति थे |आप जानते ही हैं कि सत् गुणों से युक्त व्यक्ति ज्ञान से भी युक्त होता है |उसे वैसे भी ज्ञान प्राप्त करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती |आज के युग में ऐसे लोगों का नितांत ही अभाव है,अतः इस ग्रन्थ का आज ज्यादा औचित्य नहीं है ,और न ही यह ग्रन्थ ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त कर सका |
"विदुर-नीति" ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है ,जो महात्मा विदुर द्वारा महाराज धृतराष्ट्र को दिया गया था| धृतराष्ट्र एक तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति था |तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने की स्थिति में होता ही नहीं है,और अगर उसे ज्ञान दिया जाये तो वह उसके एकदम विपरीत उसको समझता है |इसी कारण से आज संसार में तामसिक व्यक्तियों के होते हुए भी इस ग्रन्थ का औचित्य नहीं रहा |
"श्रीमद्भागवतगीता" ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है जो भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिया गया था |श्रीमद्भागवतगीता ही एक मात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमे भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद है,विवाद नहीं|संवाद में एक व्यक्ति बोलता है तो उस समय दूसरा उसे सुनता है,जबकि विवाद में दोनों ही किसी की भी सुनते नहीं है ,दोनों केवल बोलते ही हैं |यहाँ अर्जुन राजसिक गुणों से युक्त व्यक्ति है और आज के युग में रजोगुणी व्यक्तियों का ही बाहुल्य है |इसी कारण से इस इस ग्रन्थ की प्रसिद्धि और महता है|अतः आज के समय में यह ग्रन्थ युवाओं के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक है |
|| हरिः शरणम् ||
१.भीष्म नीति |
२. विदुर नीति |
३. श्रीमद्भागवतगीता |
"भीष्म-नीति"ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है ,जो ज्ञान भीष्म पितामह द्वारा युद्धिष्ठिर को दिया गया था | युद्धिष्ठिर एक सतोगुणी व्यक्ति थे |आप जानते ही हैं कि सत् गुणों से युक्त व्यक्ति ज्ञान से भी युक्त होता है |उसे वैसे भी ज्ञान प्राप्त करने की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती |आज के युग में ऐसे लोगों का नितांत ही अभाव है,अतः इस ग्रन्थ का आज ज्यादा औचित्य नहीं है ,और न ही यह ग्रन्थ ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त कर सका |
"विदुर-नीति" ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है ,जो महात्मा विदुर द्वारा महाराज धृतराष्ट्र को दिया गया था| धृतराष्ट्र एक तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति था |तामसिक गुणों से युक्त व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने की स्थिति में होता ही नहीं है,और अगर उसे ज्ञान दिया जाये तो वह उसके एकदम विपरीत उसको समझता है |इसी कारण से आज संसार में तामसिक व्यक्तियों के होते हुए भी इस ग्रन्थ का औचित्य नहीं रहा |
"श्रीमद्भागवतगीता" ग्रन्थ में वह ज्ञान संकलित है जो भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध के मैदान में दिया गया था |श्रीमद्भागवतगीता ही एक मात्र ऐसा ग्रन्थ है जिसमे भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद है,विवाद नहीं|संवाद में एक व्यक्ति बोलता है तो उस समय दूसरा उसे सुनता है,जबकि विवाद में दोनों ही किसी की भी सुनते नहीं है ,दोनों केवल बोलते ही हैं |यहाँ अर्जुन राजसिक गुणों से युक्त व्यक्ति है और आज के युग में रजोगुणी व्यक्तियों का ही बाहुल्य है |इसी कारण से इस इस ग्रन्थ की प्रसिद्धि और महता है|अतः आज के समय में यह ग्रन्थ युवाओं के लिए एक अच्छा मार्गदर्शक है |
|| हरिः शरणम् ||
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