गुणातीत व्यक्ति के लक्षण ---कैसे होते हैं ? कैसे पहचाने ?
गुणातीत महापुरुष ---
१.बालवत होते हैं --एकदम बच्चे की तरह |केवल वर्तमान में जीते हैं |न भूतकाल पर विचार और न ही भविष्य की चिन्ता |सम स्थिति |बाहर से सक्रीय |भीतर से एकदम शांत |
२.उन्मत्वत होते हैं --एकदम पागलों की तरह |आज की स्थिति में बात करेंगे तो लगेंगे ,जैसे पागल हो |बातें करेंगे जैसे-संसार एक सपना है ,माया ने हमें बांध रखा है,अगर कामना ही करनी है तो मोक्ष/मुक्ति की करो,आदि आदि |बिल्कुल पागलों का सा व्यवहार,परन्तु पागल नहीं होते |
३.पैशाचवत होते हैं -- पिशाचों की तरह |एकांत में रहना |भीड़ पर निर्भर न होना |
४.उदासीनवत होते हैं -- प्रत्येक कार्य के लिए भीतर से उदासीन |परन्तु बाहर से सक्रिय |सुख-दुःख ,प्रिय-अप्रिय सभी स्थिति में सम |
ऐसे व्यक्तियों को समाज चाहे किसी भी रूप में ले,परन्तु वास्तविकता यही है कि परमात्मा के निकट यही होते हैं और एक दिन परमात्मा को प्राप्त कर लेते हैं |
|| हरिः शरणम् ||
गुणातीत महापुरुष ---
१.बालवत होते हैं --एकदम बच्चे की तरह |केवल वर्तमान में जीते हैं |न भूतकाल पर विचार और न ही भविष्य की चिन्ता |सम स्थिति |बाहर से सक्रीय |भीतर से एकदम शांत |
२.उन्मत्वत होते हैं --एकदम पागलों की तरह |आज की स्थिति में बात करेंगे तो लगेंगे ,जैसे पागल हो |बातें करेंगे जैसे-संसार एक सपना है ,माया ने हमें बांध रखा है,अगर कामना ही करनी है तो मोक्ष/मुक्ति की करो,आदि आदि |बिल्कुल पागलों का सा व्यवहार,परन्तु पागल नहीं होते |
३.पैशाचवत होते हैं -- पिशाचों की तरह |एकांत में रहना |भीड़ पर निर्भर न होना |
४.उदासीनवत होते हैं -- प्रत्येक कार्य के लिए भीतर से उदासीन |परन्तु बाहर से सक्रिय |सुख-दुःख ,प्रिय-अप्रिय सभी स्थिति में सम |
ऐसे व्यक्तियों को समाज चाहे किसी भी रूप में ले,परन्तु वास्तविकता यही है कि परमात्मा के निकट यही होते हैं और एक दिन परमात्मा को प्राप्त कर लेते हैं |
|| हरिः शरणम् ||
No comments:
Post a Comment