किसी भी व्यक्ति के जीवन में सफलता प्राप्ति के लिए उपयुक्त अधिष्ठान(Proper Platform) का उपलब्ध(Available) होना बहुत ही आवश्यक होता है |आज जितने भी सफल व्यक्ति इस संसार में दृष्टिगोचर हो रहे हैं,उनको सफलता इसी कारण से मिली है कि जिंदगी की शुरुआत में ही उन्हें सफलता के प्रयास के लिए एक बेहतर मंच मिला |इसका सबसे अच्छा उदाहरण वर्तमान समय में अम्बानी बंधुओं का है |
लेकिन सफलता प्राप्ति के लिए उपयुक्त मंच भी पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुसार ही प्राप्त होता है |यह मंच या अधिष्ठान आपके द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिए अत्यावश्यक है |जिस व्यक्ति को अगर ऐ़सा उपयुक्त मंच उपलब्ध नहीं होता है ,तो फिर उसके द्वारा की जाने वाली चेष्टाएं अत्यधिक श्रमसाध्य होती है अर्थात उन्हें सफलता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त चेष्टाएं करनी पड़ती हैं |
केवल यह एक हेतु(Factor) ही आपकी सफलता की गारंटी नहीं है |स्वर्गीय धीरूभाई अम्बानी को ऐसा कोई मंच नहीं मिला जैसा उनके पुत्रों को मिला |फिर भी उन्होंने सफलता प्राप्त की |लेकिन कर्ता और चेष्टा ,इन दो संयोगों तथा अंतिम हेतु दैव से सफलता प्राप्त की |गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते भी हैं कि मानव जन्म में किये गए कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति का पुनर्जन्म निर्धारित होता है ,उसी अनुसार ही उसे भावी जन्म में परिवार के रूप में मंच या अधिष्ठान उपलब्ध होता है |उस परिवार में रहते हुए उसे अपनी कामनाओं को पूरा करने हेतु उपयुक्त वातावरण उपलब्ध होता है |इसी को अधिष्ठान कहते हैं |इसीकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
|| हरिः शरणम् ||
लेकिन सफलता प्राप्ति के लिए उपयुक्त मंच भी पूर्वजन्मों के कर्मों के अनुसार ही प्राप्त होता है |यह मंच या अधिष्ठान आपके द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिए अत्यावश्यक है |जिस व्यक्ति को अगर ऐ़सा उपयुक्त मंच उपलब्ध नहीं होता है ,तो फिर उसके द्वारा की जाने वाली चेष्टाएं अत्यधिक श्रमसाध्य होती है अर्थात उन्हें सफलता प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त चेष्टाएं करनी पड़ती हैं |
केवल यह एक हेतु(Factor) ही आपकी सफलता की गारंटी नहीं है |स्वर्गीय धीरूभाई अम्बानी को ऐसा कोई मंच नहीं मिला जैसा उनके पुत्रों को मिला |फिर भी उन्होंने सफलता प्राप्त की |लेकिन कर्ता और चेष्टा ,इन दो संयोगों तथा अंतिम हेतु दैव से सफलता प्राप्त की |गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते भी हैं कि मानव जन्म में किये गए कर्मों के अनुसार ही व्यक्ति का पुनर्जन्म निर्धारित होता है ,उसी अनुसार ही उसे भावी जन्म में परिवार के रूप में मंच या अधिष्ठान उपलब्ध होता है |उस परिवार में रहते हुए उसे अपनी कामनाओं को पूरा करने हेतु उपयुक्त वातावरण उपलब्ध होता है |इसी को अधिष्ठान कहते हैं |इसीकी सफलता प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका होती है |
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