क्रमश:११
स्मृतियों और कर्मों के अंकन(Recording of memories and acts) को मस्तिष्क कैसे क्रियान्वित करता है,उसका आधारभूत ज्ञान(Basic knowledge) हम प्राप्त कर चुके है |इस वैज्ञानिक ज्ञान(Scientific knowledge) के आधार पर पुनर्जन्म और उससे मुक्ति को समझना आसान होगा |जितनी भी स्मृतियाँ है जब वे दीर्घ कालीन स्मृतियों में बदल जाती है तब वे व्यक्ति के संस्कार बन जाती है |ये संस्कार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते है |उन्ही के आधार पर पुरुष के गुण निर्धारित होते हैं-यथा,सद् गुण,रज गुण तथा तम गुण| व्यक्ति के कर्म और व्यवहार इन्ही गुणों के अनुसार होते हैं| इनको परिवर्तित करना एकदम आसान नहीं होता है |इसके लिए अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है|यह परिवर्तन तभी आ सकता है जब सम्बंधित व्यक्ति को मानव जीवन के उद्देश्य का स्पष्ट ज्ञान हो|अन्यथा सारा परिश्रम एक झटके के साथ व्यर्थ हो सकता है| इसको स्पष्ट करने के लिए एक कहानी याद आती है |
एक राजा के दरबार में एक विदूषक(Foreigner) आया |उसने आते ही राजा का अभिवादन(Respect,salute) किया |राजा ने उससे पूछा कि आप किस स्थान से पधारें है ?विदूषक ने स्पष्ट कोई उत्तर नहीं दिया |बल्कि राजा के अन्य प्रश्नों का भी जवाब हर बार अलग अलग भाषा(Languages) में देता रहा |साथ ही कहता रहा कि आपके दरबार में इतने ज्ञानवान (Intelligent)और सुशिक्षित(Well educated) महानुभाव (Personalities)बैठे हैं,आप पहचानिये (Identify)कि मैं किस क्षेत्र(Region) से आया हूँ |राजा ने अपने दरबारियों की तरफ उत्तर जानने हेतु दृष्टि डाली|सभी ने न जानने के कारण अपना अपना सिर नीचे कर लिए |राजा समझ गया |उसने कुछ समय के लिए उसे शाही मेहमान(Guest of the state) बनने का निमंत्रण(Invitation) दिया |उसने सहर्ष स्वीकार(Happily accepted) कर लिया |
अब प्रत्येक दिन राजा के दरबार में वह उपस्थित रहता और बार बार अपनी भाषा बदलकर बात करता रहता|राजा की परेशानी बढती जा रही थी |उसने अपने पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि जो भी इस विदूषक का मूल निवास स्थान बता देगा उसे शाही दरबार में उचित स्थान प्रदान किया जायेगा| एक युवक एक दिन राजा के पास पहुंचा और उनसे प्रार्थना की कि उसे विदूषक के साथ रहने कि अनुमति प्रदान करे|तभी वह उसके मूल निवास का पता कर सकेगा |राजा ने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी |
अब वह युवक और विदूषक दोनों साथ साथ रहने लगे|कुछ ही दिनों में उनकी साथ साथ रहने की यात्रा ,प्रगाढ़ मित्रता(Friendship) में बदल गयी|परन्तु विदूषक इतना होशियार था कि युवक को ऐसा कोई भी संकेत नहीं दिया जिससे वह उसके मूल राज्य का पता कर सके |थक-हार कर अंतिम उपाय जानने के लिए युवक अपने गुरु के पास गया |गुरु ने उसे कुछ समझाया|युवक के चहरे पर अब निराशा के स्थान पर मुस्कान थी |वह राज भवन लौटा |रातभर विदूषक के साथ रहा |सुबह शाही दरबार शुरू हुआ,लेकिन युवक किसी न किसी बहाने से विदूषक को वहाँ जाने से रोकता रहा |आखिर दोनों ने देरी से दरबार में प्रवेश किया|प्रवेश करते ही युवक ने विदूषक को पीछे से जोरदार धक्का दिया |धक्के के कारण विदूषक दरबार के मध्य में औंधे मुंह गिरा |गुस्से में उठकर वह युवक को असभ्य शब्द कहने लगा |युवक तुरंत ही राजा की ओर देख कर बोला-"क्षमा कीजिये महाराज,मैंने आपके अतिथि का अपमान किया है |परन्तु इस विदूषक के मूल निवास स्थान को जानने के लिए यह आवश्यक था|मेरे गुरु ने मुझे कहा था कि व्यक्ति कितना ही चालबाज़ हो,अपने संस्कारों से कभी भी मुक्त नहीं हो सकता |ज्यों ही मैंने इनको जमीन पर गिराया ,इन्हे क्रोध आ गया|क्रोध में इन्होने अपनी मूल भाषा में मुझे असभ्य शब्द कहे |इसी आधार पर मैंने इनके मूल निवास का पता कर लिया|" इतना कहकर युवक ने राजा को उस विदूषक के मूल राज्य का नाम बता दिया |जिसे विदूषक ने भी स्वीकार किया |
इस कहानी के बताने का उद्देश्य यह है कि दीर्घ कालीन स्मृति(Long term memory) को चाहे कितना ही विस्मृत करने का प्रयास करें उसके नष्ट होने की सम्भावना(Possibility) नगण्य(Negligible) होती है |केवल मात्र तात्विक ज्ञान ही आपकी इस स्मृति को धीरे-धीरे क्षीण कर सकता है|अन्यथा यही स्मृतियाँ आपको पुनर्जन्म के लिए नए शरीर में ले जाएँगी|
क्रमश:
|| हरिः शरणम् ||
स्मृतियों और कर्मों के अंकन(Recording of memories and acts) को मस्तिष्क कैसे क्रियान्वित करता है,उसका आधारभूत ज्ञान(Basic knowledge) हम प्राप्त कर चुके है |इस वैज्ञानिक ज्ञान(Scientific knowledge) के आधार पर पुनर्जन्म और उससे मुक्ति को समझना आसान होगा |जितनी भी स्मृतियाँ है जब वे दीर्घ कालीन स्मृतियों में बदल जाती है तब वे व्यक्ति के संस्कार बन जाती है |ये संस्कार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते है |उन्ही के आधार पर पुरुष के गुण निर्धारित होते हैं-यथा,सद् गुण,रज गुण तथा तम गुण| व्यक्ति के कर्म और व्यवहार इन्ही गुणों के अनुसार होते हैं| इनको परिवर्तित करना एकदम आसान नहीं होता है |इसके लिए अत्यधिक परिश्रम की आवश्यकता होती है|यह परिवर्तन तभी आ सकता है जब सम्बंधित व्यक्ति को मानव जीवन के उद्देश्य का स्पष्ट ज्ञान हो|अन्यथा सारा परिश्रम एक झटके के साथ व्यर्थ हो सकता है| इसको स्पष्ट करने के लिए एक कहानी याद आती है |
एक राजा के दरबार में एक विदूषक(Foreigner) आया |उसने आते ही राजा का अभिवादन(Respect,salute) किया |राजा ने उससे पूछा कि आप किस स्थान से पधारें है ?विदूषक ने स्पष्ट कोई उत्तर नहीं दिया |बल्कि राजा के अन्य प्रश्नों का भी जवाब हर बार अलग अलग भाषा(Languages) में देता रहा |साथ ही कहता रहा कि आपके दरबार में इतने ज्ञानवान (Intelligent)और सुशिक्षित(Well educated) महानुभाव (Personalities)बैठे हैं,आप पहचानिये (Identify)कि मैं किस क्षेत्र(Region) से आया हूँ |राजा ने अपने दरबारियों की तरफ उत्तर जानने हेतु दृष्टि डाली|सभी ने न जानने के कारण अपना अपना सिर नीचे कर लिए |राजा समझ गया |उसने कुछ समय के लिए उसे शाही मेहमान(Guest of the state) बनने का निमंत्रण(Invitation) दिया |उसने सहर्ष स्वीकार(Happily accepted) कर लिया |
अब प्रत्येक दिन राजा के दरबार में वह उपस्थित रहता और बार बार अपनी भाषा बदलकर बात करता रहता|राजा की परेशानी बढती जा रही थी |उसने अपने पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि जो भी इस विदूषक का मूल निवास स्थान बता देगा उसे शाही दरबार में उचित स्थान प्रदान किया जायेगा| एक युवक एक दिन राजा के पास पहुंचा और उनसे प्रार्थना की कि उसे विदूषक के साथ रहने कि अनुमति प्रदान करे|तभी वह उसके मूल निवास का पता कर सकेगा |राजा ने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी |
अब वह युवक और विदूषक दोनों साथ साथ रहने लगे|कुछ ही दिनों में उनकी साथ साथ रहने की यात्रा ,प्रगाढ़ मित्रता(Friendship) में बदल गयी|परन्तु विदूषक इतना होशियार था कि युवक को ऐसा कोई भी संकेत नहीं दिया जिससे वह उसके मूल राज्य का पता कर सके |थक-हार कर अंतिम उपाय जानने के लिए युवक अपने गुरु के पास गया |गुरु ने उसे कुछ समझाया|युवक के चहरे पर अब निराशा के स्थान पर मुस्कान थी |वह राज भवन लौटा |रातभर विदूषक के साथ रहा |सुबह शाही दरबार शुरू हुआ,लेकिन युवक किसी न किसी बहाने से विदूषक को वहाँ जाने से रोकता रहा |आखिर दोनों ने देरी से दरबार में प्रवेश किया|प्रवेश करते ही युवक ने विदूषक को पीछे से जोरदार धक्का दिया |धक्के के कारण विदूषक दरबार के मध्य में औंधे मुंह गिरा |गुस्से में उठकर वह युवक को असभ्य शब्द कहने लगा |युवक तुरंत ही राजा की ओर देख कर बोला-"क्षमा कीजिये महाराज,मैंने आपके अतिथि का अपमान किया है |परन्तु इस विदूषक के मूल निवास स्थान को जानने के लिए यह आवश्यक था|मेरे गुरु ने मुझे कहा था कि व्यक्ति कितना ही चालबाज़ हो,अपने संस्कारों से कभी भी मुक्त नहीं हो सकता |ज्यों ही मैंने इनको जमीन पर गिराया ,इन्हे क्रोध आ गया|क्रोध में इन्होने अपनी मूल भाषा में मुझे असभ्य शब्द कहे |इसी आधार पर मैंने इनके मूल निवास का पता कर लिया|" इतना कहकर युवक ने राजा को उस विदूषक के मूल राज्य का नाम बता दिया |जिसे विदूषक ने भी स्वीकार किया |
इस कहानी के बताने का उद्देश्य यह है कि दीर्घ कालीन स्मृति(Long term memory) को चाहे कितना ही विस्मृत करने का प्रयास करें उसके नष्ट होने की सम्भावना(Possibility) नगण्य(Negligible) होती है |केवल मात्र तात्विक ज्ञान ही आपकी इस स्मृति को धीरे-धीरे क्षीण कर सकता है|अन्यथा यही स्मृतियाँ आपको पुनर्जन्म के लिए नए शरीर में ले जाएँगी|
क्रमश:
|| हरिः शरणम् ||
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