शरीर-3
हमारा शरीर क्या है ? यह प्रश्न जब किसी से भी पूछा जाता है, तो स्पष्ट और सही उत्तर देने वाला कोई विरला ही मिलेगा | हाँ, स्थूल शरीर (Gross body) के बारे में हम चिकित्सक अवश्य ही सब कुछ जानते हैं | हम प्रायः स्थूल शरीर को ही सब कुछ मानते हैं, परन्तु यह पूर्ण सत्य नहीं है | यह शरीर, जो हमें दिखलाई पड रहा है, जिसके सुन्दर और सौष्ठव रूप को बनाये रखने में हम अपने मानव जीवन का बहुमूल्य समय नष्ट कर रहे हैं, वह मात्र एक यंत्र, एक मशीन से अधिक कुछ भी नहीं है | जैसे एक यंत्र विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनता है वैसे ही यह शरीर भी कई प्रकार के पदार्थों से मिलकर बना है | अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि प्रत्येक प्राणी का शरीर भी मात्र एक पदार्थ है | परमात्मा ने इस यंत्र को हमें अपने जीवन में सदुपयोग करने के लिए दिया है, न कि केवल इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाने के लिए | हमारा अस्तित्व केवल इस शरीर के कारण नहीं है और न ही हम मात्र इस शरीर के पालन-पोषण के लिए ही हैं बल्कि इससे कहीं अधिक हैं हम | सत्य को हम आज तक समझ नहीं पाए हैं, सत्य तो यह है कि यह शरीर हमारे कारण से ही हमें मिला है | परन्तु याद रखें, जीवन भर इसका केवल पालन-पोषण ही करते रहें, इसके लिए भी यह शरीर नहीं मिला है |
कहा जाता है कि हम स्वयं हमारे जीवन के लिए उत्तरदायी हैं | जो हमें आज मनुष्य शरीर मिला है, जैसा भी मिला है और जहाँ पर भी मिला है, उसके मूल में हम स्वयं है, हमारे कर्म हैं, हमारी कामनाएं हैं | मनुष्य शरीर मिलने में परमात्मा की कृपा की भूमिका भी रहती है क्योंकि यह मानव-जीवन सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि जहाँ अन्य प्राणियों को कर्म करने की स्वतंत्रता नहीं होती वहां इस देह में वह स्वतंत्रता मिली हुई है | अब यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इस स्वतंत्रता का सदुपयोग करता है अथवा दुरुपयोग |
इतना जान लेने के बाद भी अभी भी यह प्रश्न अनुत्तरित है कि शरीर क्या है ? आइये इस शरीर को जानने और समझने के लिए इसके भीतर प्रवेश करते हैं |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
हमारा शरीर क्या है ? यह प्रश्न जब किसी से भी पूछा जाता है, तो स्पष्ट और सही उत्तर देने वाला कोई विरला ही मिलेगा | हाँ, स्थूल शरीर (Gross body) के बारे में हम चिकित्सक अवश्य ही सब कुछ जानते हैं | हम प्रायः स्थूल शरीर को ही सब कुछ मानते हैं, परन्तु यह पूर्ण सत्य नहीं है | यह शरीर, जो हमें दिखलाई पड रहा है, जिसके सुन्दर और सौष्ठव रूप को बनाये रखने में हम अपने मानव जीवन का बहुमूल्य समय नष्ट कर रहे हैं, वह मात्र एक यंत्र, एक मशीन से अधिक कुछ भी नहीं है | जैसे एक यंत्र विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनता है वैसे ही यह शरीर भी कई प्रकार के पदार्थों से मिलकर बना है | अतः स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि प्रत्येक प्राणी का शरीर भी मात्र एक पदार्थ है | परमात्मा ने इस यंत्र को हमें अपने जीवन में सदुपयोग करने के लिए दिया है, न कि केवल इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाने के लिए | हमारा अस्तित्व केवल इस शरीर के कारण नहीं है और न ही हम मात्र इस शरीर के पालन-पोषण के लिए ही हैं बल्कि इससे कहीं अधिक हैं हम | सत्य को हम आज तक समझ नहीं पाए हैं, सत्य तो यह है कि यह शरीर हमारे कारण से ही हमें मिला है | परन्तु याद रखें, जीवन भर इसका केवल पालन-पोषण ही करते रहें, इसके लिए भी यह शरीर नहीं मिला है |
कहा जाता है कि हम स्वयं हमारे जीवन के लिए उत्तरदायी हैं | जो हमें आज मनुष्य शरीर मिला है, जैसा भी मिला है और जहाँ पर भी मिला है, उसके मूल में हम स्वयं है, हमारे कर्म हैं, हमारी कामनाएं हैं | मनुष्य शरीर मिलने में परमात्मा की कृपा की भूमिका भी रहती है क्योंकि यह मानव-जीवन सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि जहाँ अन्य प्राणियों को कर्म करने की स्वतंत्रता नहीं होती वहां इस देह में वह स्वतंत्रता मिली हुई है | अब यह मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इस स्वतंत्रता का सदुपयोग करता है अथवा दुरुपयोग |
इतना जान लेने के बाद भी अभी भी यह प्रश्न अनुत्तरित है कि शरीर क्या है ? आइये इस शरीर को जानने और समझने के लिए इसके भीतर प्रवेश करते हैं |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
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