Thursday, April 16, 2020

जीवो जीवस्य जीवनम्-11


जीवो जीवस्य जीवनम् -11
        अब जानते हैं कि मनुष्य के शरीर में प्रवेश करने के बाद कोरोना क्या करता है ? कोरोना साँस के रास्ते मनुष्य के शरीर में जाकर कोशिकाओं में प्रवेश कर अपने जैसे ही कई कणों का निर्माण करता है | फिर यह रक्त में उपस्थित लाल रक्त कणों (RBC) में प्रवेश कर उसमें उपस्थित हीमोग्लोबिन में से हीम (Iron) को पृथक् कर देता है जिससे रक्त की फेफड़ों से प्राणवायु (Oxygen) सोखकर शरीर में उसको परिवहन करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है | इस प्रकार मनुष्य को साँस लेने में परेशानी आने लगती है और दूसरे रोगों जैसे न्युमोनिया आदि की पकड़ में आ जाता है | पहले से ही शरीर में अगर दीर्घकालीन रोग हो तो यह प्रक्रिया मनुष्य को शीघ्र ही मृत्यु के द्वार तक भी पहुंचा देती है |
      भारत में मलेरिया एक प्रमुख बीमारी है | कई मनुष्यों में इस बीमारी की रोग-प्रतिरोधक क्षमता इतनी अधिक प्रबल हो जाती है कि उनको भले कितने ही मच्छर काट लें, मलेरिया नहीं होती | ऐसे व्यक्तियों को कोरोना अगर संक्रमित करता भी है तो मलेरिया प्रतिरोधक क्षमता के कारण कोरोना लाल कणों में प्रवेश ही नहीं कर सकता जिससे वह कोरोना होने पर भी बच जाता है | इसी प्रकार कोरोना होने पर अगर उसे HCQ दवा दे दी जाये तो उसके बच जाने की सम्भावना बढ़ जाती है |
           इस प्रकार हमने देखा कि एक जीव का जीवन केवल उस एक जीव के लिए ही जीवन नहीं है बल्कि अन्य जीवों के जीवन के लिए भी है | अब चलते हैं, इस उक्ति के दार्शनिक पक्ष की ओर | अभी तक वैज्ञानिक पक्ष के अनुसार हमने “जीवो जीवस्य जीवनम्” पर चर्चा की परन्तु सबसे महत्वपूर्ण है इसके दार्शनिक पक्ष को जानना | कल हम इस विषय के दार्शनिक पक्ष पर चर्चा करेंगे |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||

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