जीवो जीवस्य जीवनम् -10
आज तक इस कोरोना का कोई सिद्ध इलाज
नहीं है और न ही बचाव के लिए टीका | इससे बचाव का एक ही मार्ग है, इस विषाणु के संपर्क
में आने से स्वयं को रोकना | कोरोना विषाणु को किसी यजमान (Host) की आवश्यकता होती
है अन्यथा वह अकेला कहीं बाहर पड़ा रहकर कुछ भी नहीं कर सकता और नष्ट हो जाता है |
कोरोना विषाणु के यजमान हैं, हम मनुष्य | हमारी
एक ही गलती से यह बाहर किसी सतह से / विषाणुग्रस्त रोगी से हमारे शरीर तक पहुंचकर
हमारे शरीर की किसी एक कोशिका में प्रवेश कर जाता है | वहां पर वह रासायनिक क्रिया
करके अपने जैसे नए कारक कोरोना (RNA विषाणु) बना डालता है | फिर ऐसे लाखों कोरोना
विषाणु शरीर के उस अंग की लाखों कोशिकाओं में प्रवेश कर तेजी से रासायनिक क्रियाएं
(Chemical reactions) करते हैं जिससे उस अंग की कार्यिकी (Physiology) प्रभावित होती
है | कोरोना के मामले में वह शरीर का आवश्यक अंग (Vital organ) फेंफडे (Lungs) है,
जिसकी कार्यिकी प्रभावित होने से रोगग्रस्त व्यक्ति को साँस लेने में दिक्कत पैदा
होती है | रोग के बढ़ते जाने से रक्त का आक्सीकरण (Oxygenation) नहीं हो पाता और रोगी
की मृत्यु हो जाती है |
कोरोना और मलेरिया का आपस में क्या
सम्बन्ध है ? इनका आपस में सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है परन्तु अप्रत्यक्ष सम्बन्ध
अवश्य है | इस बात को स्पष्ट करने के लिए सर्वप्रथम यह जानना होगा कि मलेरिया शरीर
में कैसे फैलता है ? मच्छर के काटने से उसकी लार के साथ मलेरिया परजीवी (Parasite) मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है | वहां वह परजीवी
प्रजनन करने के लिए लाल रूधिर कणिकाओं (RBC) में प्रवेश कर जाता है | वहां वह अपनी
संख्या बढाता है और फिर उन लाल कणों को तोड़कर बाहर आकर फिर से नए लाल कणों में
प्रवेश करता है | इस प्रकार उसके द्वारा लाल कणों का विध्वंस जारी रहता है और
मनुष्य को रक्त की कमी हो जाती है | समय पाकर इस परजीवी के विरुद्ध मनुष्य का रोग
प्रतिरोधक विभाग (Immune System) सक्रिय होता है और वह मलेरिया परजीवी को लाल रक्त
कणों के बाहर तो मारता ही है, साथ ही उनको लाल कणों के भीतर प्रवेश करने से रोकने
के लिए उन पर सुरक्षा दीवार भी बना देता है | इसी प्रकार मलेरिया रोधी एक दवा HCQ
भी यही कार्य करती है | यह दवा मनुष्य के शरीर में जाकर लाल कणों पर सुरक्षा घेरा
बना देती है जिससे मलेरिया परजीवी उन कणों में प्रवेश नहीं कर पाता और उसका प्रजनन
नहीं हो पाता | साथ ही यह दवा उस परजीवी के भीतर प्रवेश कर उसको नष्ट भी कर देती
है | स्मरण रहे, HCQ कोई एंटीबायोटिक दवा नहीं है, बल्कि एक रसायन है |
क्रमशः
प्रस्तुति- डॉ.
प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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