Tuesday, November 20, 2018

प्रेरक प्रसंग के संदेश 3

प्रेरक प्रसंग के संदेश - 3
"असली पारस" प्रसंग में जो संदेश छिपा है वह एकदम स्पष्ट है है। भक्ति क्या है और कौन सी भक्ति श्रेष्ठ है, इस प्रसंग से स्पष्ट हो जाता है।परमात्मा की भक्ति दो प्रकार की होती है-सकाम भक्ति और निष्काम भक्ति।सकाम भक्ति के द्वारा व्यक्ति परमात्मा से सांसारिक वस्तुएं मांगता है जबकि निष्काम भक्ति में भक्त की कोई मांग नहीं होती।
 पारस पत्थर से छूने वाला लोहा भी सोना बन जाता है। सोने से दैनिक आवश्यकताएं तो पूरी ही सकती है परंतु परमात्मा से दूरी बनी रहती है। भक्ति परीसा ने भी की थी और नामदेव ने भी।परीसा की दैवी उपासना से प्रसन्न हुई देवी से आखिर पसीजा ने मांगा तो क्या मांगा ? परीसा भागवत के स्थान पर उसकी पत्नी कमला होती अथवा आप और हम होते तो भी क्या मांगते ? वही जो परीसा भागवत ने मांगा-पारस पत्थर। परमात्मा चाहिए भी किसको ? हमें विश्वास ही नहीं है, उसके होने पर भी। हम तो केवल उसकी भक्ति करने का नाटक भर कर रहे हैं। उस नाटक से प्रसन्न होकर कभी ईश्वर ने हमें भी वर मांगने का कह दे, तो हम भी क्या मांगेंगे-उस परमपिता को नहीं बल्कि उस पत्थर को जिसके छूने भर से लोहा सोना बन जाता है।हम नामदेव बनना ही नहीं चाहते। प्रशंसा करेंगे, नामदेव की भक्ति की और स्वयं भक्ति के बदले मांगेंगे पारस।यही वास्तविकता है, हमारी भक्ति की और हमारे जीवन की भी।
अभावों में नामदेव भी जी रहे थे और परीसा भागवत भी। शारीरिक भूख नामदेव और परीसा, दोनों की एक समान थी परंतु आत्मज्ञान की भूख केवल नामदेव को थी। जो व्यक्ति शारीरिक भूख के समक्ष समर्पण कर देता है वह परमात्मा के प्रति समर्पित हो ही नहीं सकता । शारीरिक भूख के सामने समर्पण करने वाले पर परमात्मा दया करते हैं, यह बात निश्चित है परंतु उसकी  दया के परिणाम स्वरूप मिलेगी सांसारिक वस्तुएं, जो आपकी शारीरिक भूख कुछ समय के लिए शांत कर सकती है परंतु फिर लोभ को बढ़ा देती है। परीसा भागवत की पत्नी कमला के साथ भी तो यही हुआ था। पारस पत्थर मिलने पर उसने टनों स्वर्ण बना लिया था, फिर भी भूख ऐसी थी कि शांत होने के स्थान पर बढ़ती ही जा रही थी। जैसा कि नारी का स्वभाव होता है कि वह तकलीफ में किसी को देख नहीं सकती।उसका हृदय कोमल होता है। ऐसे ही कमला भी अपनी सहेली राजाई की गरीबी नहीं देख सकी। उसने द्रवित होकर पारस पत्थर से स्वर्ण बनाने के लिए कुछ समय के लिए राजाई को दे दिया, जिससे वह अपने अभाव दूर कर सके।
प्रस्तुति - डॉ. प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम्।।

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