Monday, July 17, 2017

यात्रा - गुरु से गोविन्द तक - 9

                    यात्रा – गुरु से गोविन्द तक – 9
                    ऐसे गुरु, जो कि स्वयं सांसारिक भोगों में लगे हुए हैं, वे आपसे आपका संसार व परिवार तो छुड़ा देते हैं परन्तु स्वयं के संसार के साथ आपको बाँध लेते हैं | मैंने कई ऐसे कथित गुरुओं को देखा है, जो शिष्यों से उनके परिवार से दूर कर व्यसनी तक बना डालते हैं | नशे का व्यसन आपको तत्काल ही एक प्रकार की शांति प्रदान अवश्य कर देता है परन्तु यह शांति नशे के व्यसन के कारण छद्म होती है | यह शांति मस्तिष्क में उत्पन्न हुई संवेदन शून्यता की शांति है, वास्तविक शांति तो मस्तिष्क के पूर्ण जाग्रत हो जाने पर ही मिलती है | मस्तिष्क पूर्ण जाग्रत होता है, ज्ञान से | अतः जो गुरु आपको अपने परिवार से अलग कर अपने संसार के साथ बाँध लेता है, उससे बचें | यह तो वैसे ही हुआ जैसे एक व्यक्ति इधर कुएं से निकलकर उधर जाकर खड्ड में गिर जाये | ऐसे गुरु पतन की राह पर ही ले जा सकते हैं, परमात्मा के रास्ते पर नहीं | वास्तविक शांति तो संसार व परिवार से जुड़े रहते हुए भी वास्तविक गुरु ज्ञान देकर उपलब्ध करा सकता है | परमात्मा के लिए संसार छोड़ना आवश्यक नहीं है | अपने संसार को स्वयं के भीतर से निकाल कर बाहर करना होता है | साथ ही ऐसा उपाय करना होता है कि ऐसा संसार आपके भीतर पुनः प्रवेश न कर सके | ज्ञानीजन इस उपाय को बाड़ लगाना कहते हैं | इतना सब एक ज्ञानी गुरु ही संभव कर सकता है |
             संत कबीर सच्चे गुरु की प्रशंसा में यहाँ तक कह गए हैं कि –
गुरु गोविन्द दोउ खड़े, काके लागूं पांय |
बलिहारी गुरु आपकी, गोविन्द दियो बताय ||
                कबीर कहते हैं कि सच्चा गुरु वही है, जिसने आत्म-ज्ञान करा दिया, जिसने परमात्मा को पाने का रास्ता दिखा दिया | ऐसे गुरु पर बलिहारी हूँ जिसने गोविन्द को बता दिया अर्थात गोविन्द को कैसे पाया जा सकता है, उसका रास्ता दिखा दिया | ऐसे गुरु को कबीर ने गोविन्द से भी उच्च स्थान दिया है | ‘परमात्मा सर्वोच्च शक्ति है’, यह हम सभी जानते है, परन्तु हमारे में से कितने व्यक्तियों ने इस वाक्य को जिव्हा से ह्रदय में उतारा है ? इसी वाक्य को आत्मसात केवल गुरु ही करवा सकता है | इस वाक्य को आत्मसात करते ही आप स्वयं गोविन्द ही है | जो आपको स्वयं का ज्ञान करा दे, ऐसे में आपसे बड़ा आपको ज्ञान कराने वाला ही हुआ न | इसीलिए कबीर ने गोविन्द से गुरु को बड़ा कहा है |
क्रमशः
प्रस्तुति-डॉ.प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||  

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