प्रणव -2
ॐ अर्थात ओंकार को अनहद
नाद भी कहते हैं और इसे प्रणव भी कहा जाता है | वास्तव में
देखा जाये तो प्रणव नाम से
जुड़े गहरे अर्थ हैं, जो अलग-अलग पुराणों में अलग अलग
प्रकार से बताए गए हैं | यहाँ मैं आपको शिव पुराण में बताए ॐ के प्रणव नाम से
जुड़े अर्थ को बताना चाहूँगा | शिव पुराण में प्रणव के अलग-अलग
शाब्दिक अर्थ और भाव बताए गए हैं | 'प्र' का अर्थ है, प्रपंच,
'ण' यानी नहीं और 'व:' अर्थात तुम
लोगों के लिए अर्थात सांसारिक प्रपंच तुम लोगों के लिए नहीं है | इस प्रकार प्रणव (ॐ)
का अर्थ हुआ कि यह ॐ आपको सांसारिक जीवन के समस्त प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर
जीवन के अहम लक्ष्य यानी मोक्ष तक पहुंचा देता है | यही कारण है कि ॐ को प्रणव नाम
से भी जाना जाता है।
एक अन्य अर्थ में प्रणव को 'प्र' यानी यानी
प्रकृति से बने संसार रूपी सागर को पार कराने वाली 'ण' यानी नाव
बताया गया है | इसी तरह ऋषि-मुनियों की दृष्टि से 'प्र' अर्थात
प्रकर्षेण, ‘ण’ अर्थात नयेत् और 'व:' अर्थात
युष्मान् मोक्षम् अर्थात “प्रकर्षेण नयेत् युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव:” बताया
गया है, जिसका सरल शब्दों में अर्थ है प्रत्येक साधक को शक्ति देकर जन्म-मरण के
बंधन से मुक्त करने वाला होने से यह ॐ ही प्रणव: है |
शिव-पुराण में सूतजी ऋषियों
को कहते हैं कि महर्षियों ! मायारहित महेश्वर को ही नव अर्थात नूतन कहते हैं | वे
परमात्मा प्रधान रूप से नव अर्थात शुद्ध स्वरुप है इसलिए प्रणव कहलाते हैं | प्रणव,
साधना करने वाले साधक को नव अर्थात शिव स्वरुप कर देता है | हालाँकि जीवन-मुक्त को
किसी प्रकार की साधना की आवश्यकता नहीं रहती है क्योंकि वह पहले से ही सिद्ध
स्वरुप है परन्तु जब तक प्रारब्ध शेष है, तब तक यह देह नहीं छूट सकती और जब तक देह
है तब तक उससे स्वतः ही ॐ का जप होता रहता है | ‘अ’ शिव है, ‘उ’ शक्ति है और ‘म’
इन दोनों की तत्व-रूप एकता है, यह सोचकर ही हमें प्रणव का जप करना चाहिए |
इस प्रकार से ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’ इन तीन अक्षरों से
जीव और ब्रह्म की एकता का प्रतिपादन होता है | यह ब्रह्म स्वरुप ओंकार हमारी
ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेन्द्रियों, मन और बुद्धि की वृतियों को सदैव भोग और मोक्ष
प्रदान करने वाले धर्म और ज्ञान की ओर प्रेरित करता है | अतः यह सिद्ध होता है कि जो
व्यक्ति इस प्रणव अर्थात ॐ के अर्थ का बुद्धि से चिंतन करता हुआ ध्यान में उतरता
है वह निश्चय ही एक दिन ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है |
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
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