Monday, May 11, 2020

शरीर-18 समापन कड़ी-


शरीर -18 –समापन कड़ी       
       साधारण मनुष्य का अनुभव स्थूल शरीर का अनुभव है, साधारण योगी का अनुभव सूक्ष्म शरीर का अनुभव है, परम योगी का अनुभव परमात्मा का अनुभव है | परमात्मा एक है, सूक्ष्म शरीर अनंत हैं, स्थूल शरीर भी अनंत हैं। वह जो सूक्ष्म शरीर है वही बन जाता है कारण शरीर (Causal body)। वह जो सूक्ष्म शरीर है, वही नए स्थूल शरीर ग्रहण करता है।
        हमारे भीतर से जो चेतना झांक रही है, वह चेतना एक है। लेकिन उस चेतना को झांकने के लिए दो उपकरणों का प्रयोग किया गया है। पहला सूक्ष्म उपकरण है सूक्ष्म देह और  दूसरा स्थूल उपकरण है, स्थूल देह। हमारा अनुभव स्थूल देह तक ही रूक जाता है। यह जो स्थूल देह तक रूक गया अनुभव है, यही मनुष्य के जीवन का सारा अंधकार और दुख है। लेकिन कुछ लोग सूक्ष्म शरीर पर पहुंचकर भी रूक सकते हैं। जो लोग सूक्ष्म शरीर पर जाकर रूक जाते हैं, वे ऐसा कहेंगे कि आत्माएं अनंत हैं। लेकिन जो सूक्ष्म शरीर के भी आगे चले जाते है, वे कहेंगे कि परमात्मा एक है। आत्मा एक, ब्रह्म एक है।
       स्थूल शरीर में आत्मा के प्रवेश का अर्थ है वह आत्मा जिसका अभी सूक्ष्म शरीर गिरा नहीं है। इसलिए हम कहते हैं कि जो आत्मा परम मुक्ति को उपलब्ध हो जाती है, उसका जन्म-मरण बंद हो जाता है। आत्मा का तो कोई जन्म-मरण है ही नहीं। वह न तो कभी जन्मी है और न कभी मरेगी ही | वह जो सूक्ष्म शरीर है, वह भी समाप्त हो जाने पर कोई जन्म-मरण नहीं रह जाता क्योंकि सूक्ष्म शरीर ही कारण बनता है नए जन्मों का।
         सूक्ष्म शरीर का अर्थ है,  हमारे विचार,  हमारी कामनाएँ, हमारी वासनाएं, हमारी इच्छाएं, हमारे अनुभव, हमारा ज्ञान, हमारे राग-द्वेष, इन सबका जो संग्रहीभूत, जो एकीकृत बीज (Integrated seed) है,  वह हमारा सूक्ष्म शरीर है। वही हमें आगे की यात्रा कराता है। लेकिन जिस मनुष्य के सारे विचार नष्ट हो गए, जिस मनुष्य की सारी वासनाएं क्षीण हो गई, जिस मनुष्य की सारी इच्छाएं विलीन हो गई, जिसके भीतर अब कोई भी इच्छा शेष न रही, उस मनुष्य को जाने के लिए कोई जगह नहीं बचती, कहीं जाने का अर्थात पुनर्जन्म का कोई कारण शेष नहीं रह जाता | यही मुक्ति है |
प्रस्तुति- डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||

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