शरीर-13
शरीर
के पञ्च कोष
शरीर का एक और आयाम है । वह है, पञ्च कोष । ये पञ्च कोष शरीर के ही
आकार के होते हैं
और बाहर से भीतर की ओर निरीक्षण करने पर
सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होते जान पड़ते हैं । ये पाँच कोष, बाहर से भीतर की ओर निम्न
प्रकार से हैं-
1) अन्नमय कोष (Grainful sheath) - यह
शरीर का बाह्य (Outer most) कोष है, जो त्वचा से लेकर अस्थि-पर्यन्त का समुदाय है |
यह पृथ्वीमय है अर्थात् दृश्य शरीर (Visible body) है । इसको स्थूल शरीर भी कहा
जाता है | प्रत्येक साधारण व्यक्ति इस शरीर को जानता है |
2) प्राणमय कोष (Breathful sheath) - यह कोष
पञ्च प्राण-वायु का बना । पाँच वायु है- प्राण, अपान, समान, उदान और व्यान |
3) मनोमय कोष (Mindful sheath) - यह कोष पञ्च
कर्मेन्द्रियों, मन और अहंकार से बनने वाला भाग है |
4) विज्ञानमय कोष (Scienceful sheath) - इस
कोष के अंतर्गत पांच ज्ञानेन्द्रियां और बुद्धि आती है |
प्राणमय, मनोमय और विज्ञानमय, इन तीनों कोषों
को मिलाकर सूक्ष्म शरीर अथवा लिंग देह भी कहा जाता है |
5) आनंदमय कोष (Blissful sheath) - यह कोष
मूल कारण प्रकृति का बना भाग है । इसी कोष से प्राणी को आनंद की अनुभूति होती है |
विभागों
का समीकरण-
यहां आकर स्पष्ट हो जाता है कि अन्नमय कोष
स्थूल शरीर ही है । प्राणमय, मनोमय
और विज्ञानमय कोष सूक्ष्म शरीर के अंश हैं और आनंदमय
कोष कारण शरीर है । मैंने कई विद्वानों को आनंदमय कोष को “जीव स्वयं है” ऐसा बताते
हुए सुना है । यह कथन सही है अथवा नहीं, कह नहीं सकता | अभी तक किये चिंतन के अनुसार
यह कथन कभी सत्य तो कभी असत्य प्रतीत हो रहा है | वैसे जीव इस कोष से अलग ही होना
चाहिए | आनंदमय कोष भी प्राकृतिक है, परन्तु
वहां वही आनन्द मिलता है,
जो सुषुप्ति की अवस्था में मिलता है और
कदाचित् उससे कुछ अधिक भी |
क्रमशः
प्रस्तुति-
डॉ. प्रकाश काछवाल
||
हरिः शरणम् ||
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