विज्ञान भी प्रत्येक क्षेत्र का अपना अलग विज्ञान होता है, जैसे कृषि
विज्ञान, भौतिक विज्ञान, शारीरिक विज्ञान, मनोविज्ञान, परा विज्ञान आदि | जबकि
ज्ञान सभी क्षेत्रों में एक समान होता है | दूसरे शब्दों में कहूँ तो कहूँगा कि
सभी विज्ञान ज्ञान के अंतर्गत ही आ जाते हैं | ज्ञान प्राप्त हो जाने पर आप
प्रत्येक क्षेत्र के विज्ञान को समझ सकते हैं परन्तु केवल एक क्षेत्र के विज्ञान को
जान लेने से आप सम्पूर्ण ज्ञान को उपलब्ध नहीं हो सकते | इसीलिए गीता में भगवान ने
अर्जुन को विज्ञान सहित सम्पूर्ण तत्वज्ञान को कहने की बात कही है |
दूसरी बात जो इस श्लोक में कही गई है
कि इस ज्ञान को जान लेने के बाद इस संसार में जानने योग्य कुछ भी शेष नहीं रह जायेगा
| सभी विज्ञान जिस ज्ञान से निकले हैं उस ज्ञान को जान लेने के बाद इस संसार में
जानने योग्य कुछ भी शेष नहीं रह जाता क्योंकि जितने भी क्षेत्रों का विज्ञान इस
संसार में उपलब्ध है, वह सब आप जान ही चुके होंगे और जहाँ से यह विज्ञान उपजे हैं
उस मूल को आप पकड़ चुके है ऐसे में जानने को शेष कुछ भी नहीं रह जायेगा | सांसारिक
लोग फिर भी कह सकते हैं कि एक परमात्मा को जान पाना अभी भी शेष है क्योंकि
सांसारिक व्यक्ति विज्ञान में भी केवल संसार को ही खोजता है | जबकि आध्यात्मिक
पुरुष के लिए इस ज्ञान के बाद वास्तव में जानने को कुछ भी शेष नहीं रहता क्योंकि
सभी विज्ञान का आधार यह तत्व ज्ञान है और तत्व ज्ञान हो जाने पर परमात्मा को भी
जान लिया जाता है |
|| हरिः शरणम् ||
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