Monday, September 18, 2017

नई श्रृंखला-भज गोविन्दम-कल से

सुजानगढ़ के माहेश्वरी सेवा सदन में दिनांक 9 सितम्बर से 15 सितम्बर तक शंकराचार्य कृत 'भज गोविन्दम' पर हरि:शरणम् आश्रम,बेलड़ा, हरिद्वार के आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा के प्रवचन हुए थे।उन्हीं प्रवचनों के आधार पर आज से यह नयी श्रृंखला प्रारम्भ करने जा रहा हूँ। प्रस्तुति कैसी लगी? इस श्रृंखला की समाप्ति उपरांत अवगत कराने का श्रम करें।
आदि गुरु शंकराचार्य एक बार अपने 14 शिष्यों के साथ भ्रमण पर थे। उन्होनें देखा कि एक अतिवृद्ध व्यक्ति व्याकरण और शास्त्र रट रहा था। उस समय उनके मुख से इस रचना का प्रथम श्लोक निकला। उसके बाद 12 श्लोक उन्होंने और कहे। इसी लिए उनकी इस रचना को 'द्वादश मंजरिका' भी कहा जाता है।यह कृति व्यक्ति के मोह को भी समाप्त कर देती है, अतः इसको 'मोह मुगदर' भी कहा जाता है।इस रचना में कुल 31 श्लोक हैं। पहले 13 श्लोक और अंतिम 4 श्लोक शंकराचार्य जी के द्वारा कहे गए हैं।मध्य के 14 श्लोक उनके साथ चल रहे 14 शिष्यों में से प्रत्येक शिष्य द्वारा एक एक श्लोक कहा गया है।
मोह को नष्ट करना इतना सरल नहीं है। शंकराचार्य महाराज 'भज गोविन्दम' में बार बार मोह पर वार करते हैं, जिससे मनुष्य के यह समझ मे आ जाता है कि उसे क्या करना चाहिए । बहुत ही सरल तरीके से इस रचना में समझाया गया है।आचार्य श्री गोविंद राम शर्मा ने अपने विवेचन से उसे और अधिक ग्राह्य बना दिया है ।
कल से..... नई श्रृंखला-'भज गोविन्दम'
प्रस्तुति - डॉ.प्रकाश काछवाल
।।हरि:शरणम् ।।

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