आचार्यजी सत्संग @
सुजानगढ़ – 6
दिनमपि रजनी सायं प्रातः
शिशिरवसन्तौ पुनरायातः। कालः क्रीडति गच्छत्यायुः तदपि न मुञ्चति आशावायुः || भज
गोविन्दम॥12॥
समय का बीतना और ऋतुओं का
बदलना सांसारिक नियम है। कोई भी व्यक्ति अमर नहीं होता। मृत्यु के सामने हर किसी
को झुकना पड़ता है। परन्तु हम मोह माया के बन्धनों से स्वयं को मुक्त नहीं कर पाते
हैं।
यह संसार परिवर्तनशील है |
यहाँ दिन के बाद रात और रात के बाद दिन होता है | आँख की पलक झपकने तक ही यहाँ कुछ
का कुछ हो जाता है | इस संसार में शरीर की मृत्यु होना ही एक मात्र शाश्वत सत्य है,
शेष सभी परिवर्तन शील है | संसार की माया के मोह में पड़ना यहाँ के मनुष्य की सबसे
बड़ी कमी है | सत को छोड़ असत् का दामन थामना और वह भी सब कुछ जानते हुए, इससे बड़ी
विडम्बना अन्य क्या हो सकती है ? आप को संसार के मोह माया जाल से बाहर निकलना ही
होगा | संसार के इन बंधनों को तोडना ही होगा | मोह माया के इन बंधनों से हम कैसे
मुक्त हो सकते हैं ? आइये ! यह सब जानते हैं हरिः शरणम् आश्रम, बेलडा, हरिद्वार के
आचार्य श्री गोविन्द राम जी शर्मा के श्री मुख से, जो दिनांक 9 सितम्बर 2017 से 15
सितम्बर 2017 तक “भज गोविन्दम” का विवेचन
करते हुए हमें मार्गदर्शन देंगे |
स्थान- माहेश्वरी सेवा
सदन, डॉ.छाबडा जी के निवास-स्थान के पास, सुजानगढ़ |
समय – सायं – 4 से 6 बजे
तक |
साग्रह निवेदन ......
डॉ. प्रकाश काछवाल
|| हरिः शरणम् ||
पुनश्चः –
कल से आचार्य श्री का
सत्संग कार्यक्रम प्रारम्भ हो रहा है, अतः प्रतिदिन लेखन होना जरा असंभव प्रतीत हो
रहा है | सत्संग कार्यक्रम के समापन उपरांत एक नए विषय पर नई श्रृंखला लेकर आपके
समक्ष उपस्थित होऊंगा | दिनांक 17 सितंबर तक नई श्रृंखला का प्रारम्भ होना संभव हो
सकता है | तब तक आप आचार्यजी के प्रवचनों
से लाभान्वित हों |
|| हरिः शरणम् ||
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