Sunday, September 3, 2017

आचार्यजी सत्संग @ सुजानगढ़ - 1

आचार्यजी सत्संग @ सुजानगढ़ – 1
त्वमादिदेवः पुरुषः पुराण-
स्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम् |
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम
त्वया ततं विश्वमनन्तरूप ||गीता-11/38||
अर्थात आप ही देव और पुराण पुरुष हैं तथा आप ही इस संसार के आश्रय हैं | आप ही सबको जानने वाले, जानने योग्य और परम धाम हैं | हे अनन्तरूप ! आपसे ही सम्पूर्ण संसार व्याप्त है |
ब्रह्मलीन स्वामी रामसुखदासजी महाराज द्वारा संकलित नित्य-स्तुति का यह एक श्लोक है | ब्रह्म मुहूर्त की पवित्र बेला में जब सामूहिक रूप से यह नित्य-स्तुति की जाती है, तब परमात्मा के विराट स्वरूप में समाहित होकर आप अपने आपको खो देते हैं | आप, आप न होकर उस विराट स्वरूप का एक हिस्सा हो जाते हैं | स्वयं को खो देना ही अध्यात्म की यात्रा का एक मात्र लक्ष्य होता है | स्वयं को विराट के साथ एकाकार कर लेना ही परमात्मा को पा लेना है |
                 हमारे साथ अगर आप भी अपने आप को समाप्त करने की यात्रा पर अग्रसर होना चाहते हैं तो सामूहिक नित्य-स्तुति में सम्मिलित होकर लाभ उठायें | नित्य-स्तुति प्रातः ठीक 5 बजे प्रारम्भ होती है | इससे पूर्व 4.30 बजे से गीता-पाठ होता है | कृपया समय से पूर्व पधारकर अपना स्थान ग्रहण कर लें |
स्थान –
दिनांक- 7 व 8 सितम्बर 2017      श्री परशुराम भवन, सुजानगढ़
दिनांक- 9 से 15 सितम्बर 2017     श्री माहेश्वरी सेवा सदन, डॉ.छाबड़ा जी
                                के निवास स्थान के पास , सुजानगढ़ |
सानिध्य – आचार्य श्री गोविन्द राम शर्मा, हरिः शरणम् आश्रम, बेलडा, हरिद्वार
सानुरोध -----
डॉ. प्रकाश काछवाल

|| हरिः शरणम् ||  

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