Sunday, September 17, 2017

आभार

आज 10 दिन से अधिक का समय बीत गया है, और पता ही नहीं चला | सत्य है, अगर आप रुचिकर कार्य में संलग्न हो तो आपको समय व्यतीत हो जाने का पता नहीं चलता | अरुचिकर कार्यों में एक पल भी बीतना एक वर्ष बीत जाने के समान लगता है और रुचिकर कार्य में एक वर्ष भी एक पल के समान बीत जाता है | आचार्य श्री गोविन्द राम जी शर्मा का आगमन हमारे लिए एक नया सन्देश लेकर आया है | कल प्रातः वे हरिद्वार के लिए प्रस्थान कर गए | एक सप्ताह से अधिक समय तक उनके विभिन्न कार्यक्रम सुजानगढ़ और उसके आसपास के क्षेत्र में थे, जिसके कारण मैं उनमें व्यस्त रहा | श्री माहेश्वरी सेवा सदन सुजानगढ़ में उन्होंने एक बहुत ही सुन्दर विषय पर सात दिन तक प्रवचन किये थे | विषय था- ‘भज गोविन्दम’, जो कि आदिगुरू शंकराचार्य की एक अनुपम कृति है | सुजानगढ़ के धर्म प्रेमी सज्जन गीता, भागवत, रामायण आदि धर्म ग्रंथों को तो पढ़ते रहते हैं, परन्तु ‘भज गोविन्दम’ के बारे में वे अनभिज्ञ थे |
           जब हमने इस विषय को प्रवचन के लिए चुना था, तब मेरे मन में संशय था कि न जाने यहाँ के सज्जन इस विषय पर चिंतन को गंभीरता से लेंगे अथवा नहीं | परन्तु आज समापन होने के बाद मैं यह जानकर अभिभूत हूँ कि जैसा मैंने सोचा था उससे कहीं अधिक लोगों ने आदि शंकराचार्य की इस भक्तिपूर्ण रचना के विवेचन में रुचि दिखाई | कार्यक्रम एक सीमा से अधिक सफल रहा और अंतिम दिन तो एक समय ऐसी स्थिति आ गई कि श्री माहेश्वरी सेवा सदन का सभागार भी छोटा लगने लगा | श्रोताओं ने इन प्रवचनों को जिस गंभीरता के साथ सुना, वह आश्चर्यजनक था | आचार्य श्री गोविन्दराम शर्मा ने जिस सरलता और सहजता से इस रचना का विवेचन किया, वह प्रशंसनीय है |
           ऐसे कार्यक्रम की सफलता वक्ता, श्रोताओं और कार्यकर्ताओं पर निर्भर होती है | मुझे यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि इन तीनों ही क्षेत्रों में कुशलता रही और कार्यक्रम अत्यधिक सफल रहा | श्री माहेश्वरी सेवा ट्रस्ट का सहयोग मैं सदैव याद रखूँगा, जिसके कारण हमें इतना सुन्दर और अधिक क्षमता वाला सभागार उपलब्ध हो सका | सुजानगढ़ ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों से इस कार्यक्रम को दो-चार दिन और बढाने का प्यार भरा आग्रह हुआ परन्तु आचार्य जी के नवरात्रे के व्यस्त कार्यक्रम को देखते हुए ऐसा कर पाना संभव नहीं था | हाँ, यह अवश्य है कि हमारे कार्यकर्ता इस कार्यक्रम की सफलता से इतने उत्साहित हैं कि वे एक वर्ष बाद श्राद्ध पक्ष में पुनः किसी नए विषय पर ऐसे ही प्रवचन के कार्यक्रम के लिए कटिबद्ध है | परमात्मा की असीम कृपा से ही ऐसे आयोजन होने संभव होते हैं | आशा है हमारी यह संस्था ऐसे कार्यक्रमों में सदैव अग्रणी रह कर कार्य करेगी | कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए आप सभी का आभार व साधुवाद |
||  हरिः शरणम् ||
डॉ.प्रकाश काछवाल
हरिः शरणम् जन कल्याण परिषद्

सुजानगढ़ (राज’)

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