Saturday, September 2, 2017

आचार्यजी सत्संग @ सीकर

आचार्यजी सत्संग @ सीकर
गीता में कर्म-योग
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्मयोग के बारे में अर्जुन को ज्ञान देना प्रारम्भ करते हुए दो महत्वपूर्ण बातें बताई।प्रथम महत्वपूर्ण बात तो यह बताई कि इस संसार मे कोई भी व्यक्ति किसी भी काल में क्षण मात्र के लिए भी कर्म किये बिना नहीं रह सकता ।(गीता-3/5)।वे आगे कहते हैं कि परमात्मा जब भी इस धरा पर मनुष्य रूप में अवतरित होते हैं, वे भी यहां कर्म करने को बाध्य होते हैं। अतः प्रत्येक कर्म के करने के कारण उत्पन्न होने वाले निश्चित फल को देखते हुए भी कर्मों से पलायन करना अनुचित है ।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह बताई कि कर्म करने के लिए पहले कर्म के स्वरूप को जान लेना चाहिए ।(गीता-4/17)। जब कर्म करने ही हैं, तो फिर क्यों न भली- भांति विचार करके ही कर्म किये जायँ।
कर्म,विकर्म और अकर्म क्या हैं और इनके स्वरूप को जान लेना क्यों आवश्यक है ? अर्जुन की तरह आप भी इस प्रश्न का उत्तर जानने को उत्सुक हैं, तो दिनांक 6 सितंबर 2017 को बद्री विहार, सीकर में सायं 4 से 6 बजे तक होने वाले सत्संग में पधारें । वहां पर हरि :शरणम् आश्रम,बेलड़ा (हरिद्वार) के आचार्य श्री गोविंदराम शर्मा "गीता में कर्म-योग" विषय पर व्याख्यान देंगे।
सानुरोध.........
डॉ. प्रकाश काछवाल
।। हरि: शरणम् ।।

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